गो-तस्करों की बर्बरता
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि, किस तरह गाय, बछडों के पहले पैर बांध कर उन्हें पूरी तरह बेबस कर दिया जाता है । फिर उन्हें नदी के पानी में धकेल कर केले के दो तनों में उनका सिर कस दिया जाता है । ये इसलिए किया जाता है कि, सिर ही केवल पानी से बाहर रहे और ऑक्सीजन मिलते रहने की वजह से गाय की मृत्यु ना हो । फिर उसके ऊपर कचरा आदि भी डाल दिया जाता है । ये इसलिए किया जाता है कि, बाहर से देखने पर ऐसा ही लगे कि नदी में कचरा बह रहा है ।
असम के धुबरी जिले के झापसाबारी क्षेत्र में गायों की बांग्लादेश को तस्करी के लिए ये तरीका धडल्ले से अपनाया जा रहा है । गाय समेत तमाम पशुओं के ऊपर कोई खास पहचान या कोड भी छाप दिए जाते है । ये इसलिए किया जाता है कि, सिमा पार पहुंचने पर पशु उसी कारोबारी तक पहुंचे जिसके लिए उसकी तस्करी की जा रही है । स्थानीय नागरिकों के अनुसार बीएसएफ जवानों की आंखों से बचाकर ये तस्करी की जाती है । एक अनुमान के अनुसार, झापसाबारी से ही हर दिन ३००-४०० गायों को नदी के रास्ते बांग्लादेश भेजा जाता है ।
तस्कर इन गायों को असम और बांग्लादेश के पशु व्यापारियों से खरीदते हैं । ज्यादातर गाय उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा से सडक के रास्ते लाई जाती हैं । पहले इन्हें पश्चिम बंगाल-असम सीमा पर अनलोड किया जाता है । फिर तस्कर तय करते हैं कि, गायों को बांग्लादेश कैसे भेजा जाए । नदी से तस्करी के अलावा जमीन के रास्ते भी गायों को सीमा पार कर बांग्लादेश भेजा जाता है । हालांकि जमीनी सीमा पर चौकसी अधिक होने के कारण से इस रास्ते तस्करी पर काफी हद तक रोक लग गई है ।
स्थानीय लोग इन दिनों गाय तस्करों की अमानवीय हरकतों के विरोध में खुल कर सामने आने लगे हैं । स्थानीय लोगों के अनुसार ये तस्कर इतने बेखौफ हैं कि रोके जाने पर कई बार बीएसएफ से भी भिड जाते हैं । लोगों का कहना है कि, हाल के दिनों में गायों की बांग्लादेश को तस्करी बढ़ गई है ।
असम गाय तस्करी का हॉट स्पॉट है । यहां से बांग्लादेश की लगभग २६३ किलोमीटर लंबी सीमा लगती है । यही बॉर्डर असम से गायों को बांग्लादेश पहुंचाने का रूट बनता है । यहां गाय की औसत कीमत ५५ हजार रुपये तक होती है । असम बॉर्डर पार करवाते ही बांग्लादेश में गाय की कीमत १ लाख रुपये तक हो जाती है । ऐसा इसलिए है क्योंकि बांग्लादेश में बीफ की काफी मांग है । इसी बात का मुनाफा गोतस्कर उठाते हैं ।
स्त्रोत : आज तक