बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की दुःस्थिति !
भारत में अल्पसंख्यकों पर आक्रमण की यदि एक भी घटना हुई, तो असहिष्णुता के नामपर गला फाड़नेवाले तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावाले तथा मानवाधिकारवाले बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हो रहे ऐसे अत्याचारों के संदर्भ में कुछ नहीं बोलते, इसे ध्यान में लें !
बांग्लादेश : ६ मार्च २०१७ को बांग्लादेश मायनॉरिटी वॉच के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष के बंधु ज्योतिंद्र घोष का निधन हुआ। अतः अपने भाई के अंत्यसंस्कार हेतु अधिवक्ता श्री. घोष ढाका से चितगांव जा रहे थे।
१० मार्च २०१७ की सुबह ७.३० बजे श्री. रवींद्र घोष एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कृष्णादेवी घोष स्वर्गीय ज्योतिंद्र घोष के अंत्यसंस्कार के लिए साईकल रिक्शे में बैठकर जा रहे थे। उस समय जिहादीयों ने उनकी साईकिल रिक्शे को धक्का दिया और वो वहां से भाग गए। इस आक्रमण में श्री. रवींद्र घोष को कोई अधिक चोट नहीं आयी; किंतु उनकी धर्मपत्नी गंभीर रूप से घायल हो गईं।
उस समय श्री. रवींद्र घोष होश में थे; इसलिए उन्होंने बांग्लादेशी पुलिसकर्मियों को घटनास्थल बुलाया और इसके संदर्भ में परिवाद प्रविष्ट किया। श्री. रवींद्र घोष ने पुलिसकर्मियों की सहायता से श्रीमती कृष्णादेवी घोष को चितगांव वैद्यकीय महाविद्यालय में भर्ती किया। इस आक्रमण में आयी चोट के कारण श्रीमती कृष्णादेवी पर शस्त्रकर्म करना आवश्यक हुआ और उनको डेढ मास चिकित्सालय में ही रहना पडा। श्री. घोषद्वारा प्रविष्ट परिवाद के संदर्भ में बांग्ला देशी पुलिस ने अभीतक कोई कदम नहीं उठाया है ! (बांग्लादेश में सभी स्तरोंपर हिन्दुओं का दमन किया जा रहा है। उसी कारण भरी सडक में किसी वयस्क दंपति पर आक्रमण होकर ३ मास बीत जाने पर भी वहां की पुलिस कोई भी कार्रवाई नहीं करती ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात