एक सर्वोच्च हिन्दू अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां उन्हें हिंसा, सामाजिक उत्पीडन और अलग-थलग होने का सामना करना पड रहा है। द हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन (एचएएफ) ने दक्षिण एशिया में हिंदुओं और प्रवासियों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि, समूचे दक्षिण एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे हिन्दू अल्पसंख्यक विभन्न स्तरों के वैधानिक और संस्थागत भेदभाव, धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी, सामाजिक पूर्वाग्रह, हिंसा, सामाजिक उत्पीडन के साथ ही आर्थिक और सियासी रूप से हाशिये वाली स्थित का सामना करते हैं।
अमेरिकी राजधानी में इस सप्ताह की शुरुआत में जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हिन्दू महिलाए खास तौर पर इसकी चपेट में आती हैं और बांग्लादेश तथा पाकिस्तान जैसे देशों में अपहरण और जबरन धर्मांतरण जैसे अपराधों का सामना करती हैं। कुछ देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां राज्यतर लोग भेदभावपूर्ण और अलगाववादी एजेंडा चलाते हैं जिसके पीछे अक्सर सरकारों का मौन या स्पष्ट समर्थन होता है।’’
अपनी रिपोर्ट में एचएएफ ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया और पाकिस्तान को हिन्दू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का भीषण उल्लंघनकर्ता माना है। भूटान और श्रीलंका की पहचान गंभीर चिंता वाले देशों के तौर पर की गयी है। रिपोर्ट में भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले के ज्यादा मामले सामने आए हैं। पिछले वर्ष अज्ञात शरारती तत्वों द्वारा १५ मंदिरों और २० से अधिक मकानों में तोडफोड की गई और आग लगा दी गई। इस हमले के बाद कई हिन्दू परिवार अपने मकानों को छोडकर चले गए और दूसरे क्षेत्रों में शरण ले ली है।
वहीं ऐसे मामले सबसे ज्यादा पाकिस्तान में भी देखने को मिले है। अभी कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के थार जिले में एक नाबालिग हिन्दू लडकी का कथित तौर पर अपहरण करके उसका धर्मांतरण करा दिया गया। जिसके बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के थार के सांसद तथा पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल के प्रमुख रमेश कुमार वंकवानी ने लडकी के कथित अपहरण तथा धर्मातरण पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, “हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार, १८ वर्ष से कम आयु की हिन्दू लडकी का धर्मातरण नहीं किया जा सकता है।”
स्त्रोत : जनसत्ता