ओडिशा के पुरी शहर की भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की विश्व प्रसिद्ध वार्षिक रथ यात्रा रविवार को शुरू हो गई । भारी बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ ।
रथयात्रा में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु इस यात्रा के लिए एकत्रित हुए, जिसमें लकडी के तीन विशाल रथों को भक्तों द्वारा खींचकर गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है, जिनमें भगवान जगन्नाथ, उनके बडे भाई भगवान बलभद्र और उनकी बहन देवी सुभद्रा के विग्रह विराजमान होते हैं ।
रथ यात्रा (रथ उत्सव) के दौरान १२ वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर से तीनों देवी देवताओं के विग्रहों को अपने-अपने रथों में बैठाकर देवी गुंडिचा के मंदिर ले जाया जाता है । ९ दिन बाद बहुदा यात्रा यानी तीनों के वापस लौटने की यात्रा के साथ इस उत्सव का समापन होता है ।
इस वर्ष इस उत्सव से जुडे धार्मिक अनुष्ठान रविवार सुबह लगभग १०.३० बजे शुरू हुए, जब तीनों देवी देवताओं को एक जुलूस में भगवान सुदर्शन सहित मंदिर के बाहर खडे रथों में ले जाया गया । इस बीच ‘बडा दंड’ (ग्रांट रोड) घंटों, कहलर, महुरी, पंखुजा, मर्दल समेत कई वाद्ययंत्रों की ध्वनि से गुंजायमान रहा ।
देवी-देवताओं के विग्रहों को उनके रथों में बैठाने के बाद पुरी के महाराज गजपति दिग्विजय सिंह ‘छेरा पंहारा’ सम्पन्न करते हैं । श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रमुख प्रदीप जेना ने कहा कि उसके बाद रथों को खींचने का कार्य शुरू होता है ।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कई केंद्रीय और राज्य मंत्रियों ने लोगों को रथयात्रा के मौके पर शुभकामनाएं दीं ।
उत्सव की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सैकडों पुलिसकर्मियों को जगह-जगह तैनात किया गया है ।
स्त्रोत : न्युज १८