बीजिंग : चीन ने सिक्किम सेक्टर में सडक बनाने को सही ठहराया है। बीजिंग ने कहा है कि १८९० के सिनो-ब्रिटिश ट्रीटी के तहत यह जगह उसके क्षेत्र में आती है और इसके कोई संदेह की गुंजाइश नहीं है। चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन लू कांग ने कहा कि, इस ट्रीटी (संधि) के अनुसार सिक्किम का प्राचीन नाम झी (zhe) था। वहीं, बीजिंग ने अपने सरकारी मीडिया के जरिए कहा है कि, चीन तो सीमा को विवाद का मुद्दा बनाने से बचता है, परंतु इस बार भारत को नियम सिखाने की आवश्यकता है।
चीन के साथ ताजा विवाद की ४ वजहें…
१. सिक्किम क्षेत्र में चीन का सडक बनाना
चीन सिक्किम सेक्टर के डोंगलांग में सडक बना रहा है। इसे डोकलाम भी कहते हैं। जिस क्षेत्र में चीन यह सडक बना रहा है, उस क्षेत्र का एक हिस्सा भूटान के पास भी है। चीन का भारत के अलावा भूटान से भी इस इलाके को लेकर विवाद है। चीन-भूटान के बीच इस इलाके को लेकर २४ बार बातचीत हो चुकी है।
२. चीन ने घुसपैठ की
चीन की सेना ने हाल ही में सिक्किम सेक्टर में घुसने का प्रयास कीया और भारतीय सैनिकों से हाथापाई की। इस दौरान चीन के सैनिकों ने हमारे २ बंकर भी तोड दिए। भारतीय सैनिकों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास ह्यूमन चेन बनाकर चीनियों को रोकने की कोशिश की, परंतु वे धक्का-मुक्की करते रहे।
३. भारत पर ही आरोप लगाया
चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन लू कांग ने मंगलवार को कहा था, “अपने इलाके से हम कभी भी समझौता नहीं करेंगे। उम्मीद है कि, भारत भी इसी दिशा में काम करेगा और तुरंत अपने उन सैनिकों को पीछे हटने को कहेगा, जिन्होंने चीन की सीमा में घुसपैठ की है।” इसके बाद चीन ने बीजिंग में मौजूद इंडियन हाई कमिश्नर के सामने और देहली में अपने हाई कमिश्नर के जरिए विरोध दर्ज कराया।
४. सीमा विवाद को कैलाश मानसरोवर की यात्रा से जोडा
चीन की आेर से विवाद यहीं नहीं थमा। चीन ने कहा कि, भारतीय सैनिक तुरंत पीछे हट जाएं। भविष्य में कैलाश मानसरोवर यात्रा जारी रखना इस बात पर निर्भर करेगा कि, भारत इस टकराव का हल कैसे निकालता है ? सीमा पर तनाव के चलते नाथू ला दर्रे से कैलाश मानसरोवर जाने वाले ४७ श्रद्धालुओं को चीन ने रोक दिया था और उन्हें गंगटोक वापस आना पडा था।
स्रोत : दैनिक भास्कर