कोल्हापुर के पत्रकार परिषद में, श्री महालक्ष्मी देवस्थान भ्रष्टाचार विरोधी कृति समितिद्वारा चेतावनी
स्वयं, शासन की ओर से समाजद्रोहियोंपर कार्रवाई की जाना अपेक्षित होते हुए भी हिन्दुत्वनिष्ठों को ऐसी मांग करनी पड़े, यह शासन के लिए लज्जास्पद !
कोल्हापुर : यहां पर विगत कुछ दिनों से ‘श्री महालक्ष्मी’ अथवा ‘श्री अंबाबाई’ का विवाद उत्पन्न किया जा रहा है। उसके लिए दोनों विचारधाराओं की ओर से विविध शिलालेख एवं ऐतिहासिक दस्तावेजों का आधार दिया जा रहा है। शासन इसका समाधान ढूंढने हेतु सभी शिलालेख एवं ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करने हेतु निष्पक्ष विचारोंवाले इतिहासकारों की एक समिति नियुक्त करें और इस विवाद का शाश्वत समाधान ढूंढे। श्री महालक्ष्मी मंदिर की इस घटना की पार्श्वभूमिपर जातिवाद फैलानेवाले समाजद्रोहियोंपर कार्रवाई करें, अन्यथा एक व्यापक जनआंदोलन खडा करेंगे ! श्री महालक्ष्मी देवस्थान भ्रष्टाचार विरोधी कृति समिति के प्रवक्ता श्री. सुनील घनवट ने २९ जून को आयोजित पत्रकार परिषद में ऐसी चेतावनी दी !
इस पत्रकार परिषद में श्री. घनवट सहित बजरंग दल जिलाप्रमुख श्री. संभाजी साळुंखे, शहरप्रमुख श्री. महेश उरसाल, शिवसेना कागल शहर प्रमुख श्री. किरण कुलकर्णी, श्रीशिवप्रतिष्ठान के श्री. शरद माळी, श्री महालक्ष्मी देवस्थान भ्रष्टाचारविरोधी कृति समिति के सदस्य श्री. सुधाकर सुतार, श्री. प्रमोद सावंत, पतित पावन संघटन के जिलाध्यक्ष श्री. सुनील पाटिल, हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. राजू पाटिल एवं हिन्दू जनजागृति समिति के पश्चिम महाराष्ट्र समन्वयक श्री. मनोज खाडये आदि हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे।
श्री. सुनील घनवट ने आगे कहा कि, …..
१. गत ३ सप्ताहों से श्री महालक्ष्मी मंदिर के संदर्भ में चल रहे विवाद का लाभ उठाकर जातिय तनाव उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है। श्रीपूजकों ने देवी को जो घागरा-चोली पहनाई, उसका हम निषेध ही करते हैं। इस गंभीर चूक के लिए दोषी श्रीपूजकोंपर कार्रवाई होनी ही चाहिए, यह हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों की भूमिका है !
२. श्री महालक्ष्मी मंदिर राजनीतिक एवं जातिवादी लोगों का आखाडा न बने। मंदिर में उत्पन्न विवाद का लाभ उठाकर देवता एवं धर्म को न माननेवाला एक पुरोगामी एवं नास्तिकवादी गिरोह मंदिर की परंपरा को तोडने का षडयंत्र रच रहा हैं, इसका हम तीव्रता के साथ विरोध करते हैं। मंदिर के संदर्भ में संपन्न बैठकों में मुसलमान और देवता-धर्म को न माननेवाले नास्तिक नेताओं का अंतर्भाव था, यह आपत्तिजनक है ! मंदिर में सुव्यवस्था लाने हेतु जिला पालक मंत्रीद्वारा नियुक्त की गई तात्कालिन परामर्श समिति में भी कुछ नास्तिकवादी एवं पुरोगामी लोगों को अंतर्भूत किया गया है। ये लोग इसका दुरुपयोग कर समाज पर जातिवादी विचार थोप रहे हैं। अतः हमारी यह मांग है कि, ‘उनकेद्वारा किए जा रहे इस हस्तक्षेप को तुरंत रोका जाए और उनको इस परामर्श समिति से हटाकर उनके स्थानपर हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों के प्रतिनिधि, देवी के प्रति आस्था रखनेवाले विचारक, अभ्यासी एवं भक्तों की नियुक्ति की जाए !’
श्री. महेश उरसाल ने कहा, ‘घागरा-चोली पहनाना अयोग्य है; किंतु यह होने के पश्चात पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति ने तुरंत इसपर आपत्ति दर्शाकर देवी की दूसरी पूजा क्यों नहीं बांधी ? देवस्थान समिति को नोटिस देने का अधिकार है, तो समिति के सचिव को देवी की दूसरी पूजा बांधकर इसका समाधान ढूंढने क्या क्यों नहीं सूझा ?, श्री महालक्ष्मी देवी की मूर्तिपर इन लोगों की सुविधा के अनुरूप वज्रलेप क्यों किया जाता है ? अब शासन को ही श्रीपूजकों के आचरण के संदर्भ में धर्मशास्त्रीय आचारसंहिता बनानी चाहिए !’
श्री. संभाजी साळुंखे ने कहा, ‘गत कुछ दिनों से अंबाबाई मंदिर से ब्राह्मण पुजारियों को तुरंत हटाया नहीं गया, तो कोल्हापुर में वर्ष १९४८ की पुनरावृत्ति होगी !’, इस प्रकार के जातीय विद्वेष फैलानेवाले संदेश ‘व्हॉटस् अॅप’ पर फैलाए जा रहे हैं। समाजद्रोहियोंद्वारा इस विवाद का लाभ उठाकर विधि एवं सुव्यवस्था को बाधित करने का षडयंत्र रचे जाने का संदेह होता है। अतः इस प्रकार के समाजद्रोही संदेश भेजनेवाले समाजद्रोही चाहे किसी भी जाति के क्यों न हों; किंतु पुलिस प्रशासन उनको खोजकर उनके विरोध में कठोर कार्रवाई करें। साईबर सेलद्वारा विकृत संदेश भेजनेवालों की तुरंत खोज की जानी चाहिए !’
पत्रकार परिषद में पत्रकारोंद्वारा पूछे गए प्रश्नों के श्री. सुनील घनवटद्वारा दिए गए उत्तर
प्रश्न : ‘श्री अंबाबाई मंदिर श्रीपूजक हटाओ’ अभियान के कार्यकर्ता दिलीप पाटिल को दी गई धमकी के संदर्भ में आपको क्या लगता है ?
उत्तर : श्री. दिलीप पाटिल को इस प्रकार की धमकी दी जाना अयोग्य है। यह धमकी किसने दी, इसकी पुलिस प्रशासन को जांच करनी चाहिए। किसी ने भी यदि धमकी दी, तो उसका दोष सनातन संस्था या फिर हिन्दू जनजागृति समिति पर मढ़ा जाता है, यह अयोग्य है। समाजद्रोहियोंद्वारा ऐसी धमकी देकर मूल विषय को मोड देने का प्रयास किया जा रहा है !
प्रश्न : देवस्थान समिति की सीआयडी जांच का क्या हुआ ? दोषियों को अभी दंडित क्यों नहीं किया गया ?
उत्तर : आपराधिक अन्वेषण विभाग तुळजापुर का श्री भवानी मंदिर एवं कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी मंदिर का व्यवस्थापन देखनेवाली समितियों में किए गए करोडों रुपए के घोटालों की जांच धीमी गति से न कर शीघ्रता से कर दोषियों के विरोध में कार्रवाई करें, यही हमारी भी मांग है। शासन इस प्रकरण में निहित अपराधियों को संरक्षण न दें !
प्रश्न : मंदिर शासन के नियंत्रण में नहीं, तो किस के नियंत्रण में होने चाहिएं, ऐसा आपको लगता है ?
उत्तर : हिन्दू जनजागृति समिति बहुत पहलेसे ही मंदिर शासन के नियंत्रण में नहीं, अपितु भक्तों के नियंत्रण में दिए जाने की मांग करती आयी है; क्योंकि शिरडी का श्री साईबाबा मंदिर, साथ ही श्री सिद्धीविनायक मंदिरों का सरकारीकरण किए जाने के पश्चात वहां बडी मात्रा में भ्रष्टाचार चल रहा है। पंढरपुर का देवस्थान शासन के नियंत्रण में होने के कारण ही वहांपर भी अनेक समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। देवस्थान की ओर से गायों की योग्य देखभाल न किए जाने से ८ गायों की मृत्यु हुई हैं !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात