उडुपी के श्रीकृष्ण मठ में इफ्तार पार्टी के आयोजन का प्रकरण
इस वक्तव्य से श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी को धर्मशिक्षा की कितनी आवश्यकता है, यह स्पष्ट होता है ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात
उडुपी : श्रीकृष्ण मठ के प्रमुख पेजावर श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी ने ऐसा प्रश्न करते हुए कहा है कि, श्रीकृष्ण मठ में त्योहार के दिन सभी जाति के लोग यहां आते हैं। उसीप्रकार मुसलमान एवं ईसाई लोग भी आते हैं, अन्नब्रह्म गृह में प्रसादग्रहण करते हैं। वे हमारे त्योहार के लिए यहां आते हैं, तो उनके त्योहार पर मुसलमानों को आमंत्रित करने में क्या अयोग्य है ? (हिन्दुओं के त्योहार के लिए यदि मुसलमान मठ में आते हैं, तो उनके त्योहार पर उन्हें हिन्दुओं को मस्जिद में कार्यक्रम कर आमंत्रित करना चाहिए। इसलिए हिन्दुओं को उन्हें मठ में आमंत्रित क्यों करना चाहिए ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात) रमजान के उपलक्ष्य में मठ में इफ्तार का प्रीतिभोज आयोजित कर मुसलमानों को वहां नमाजपठन करने की अनुमति देने पर आलोचना की गई। इस पार्श्वभूमि पर एक दैनिक को दिए साक्षात्कार में उन्होंने यह प्रश्न उपस्थित किया।
श्रीराम सेना के नेता श्री. प्रमोद मुतालिक ने पेजावर स्वामी से भेंट कर इस कार्यक्रम के संदर्भ में तीव्र निषेध व्यक्त किया था।
श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी ने आगे कहा कि,
१. अनेक हिन्दू भी गोमांस खाते हैं ! (हिन्दू धर्म में गोमांस खाना निषिद्ध है। यदि कोई ऐसा कुकृत्य करता है, तो उसे धर्मशास्त्र बताना स्वामीजी का कर्तव्य है ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात) गोमांस किसीने भी नहीं खाना चाहिए इसके लिए मुसलमानों पर बलपूर्वक आग्रह न कर शांति से उनका मन परिवर्तित करना चाहिए। (क्या पेजावर स्वामी ने ऐसे प्रयास किए हैं ? एवं यदि किए हैं, तो उसे कितना प्रतिसाद मिला है ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. हमारे गुरु माधवाचार्य ने भी मुसलमानों से मित्रता करने पर जोर दिया था। मुसलमानों के साथ अच्छे आचरण का अर्थ हमने हिन्दू तत्त्वज्ञान अस्वीकार किया, ऐसा नहीं है ! (मुसलमानों के साथ अच्छा आचरण होना अयोग्य नहीं है; परंतु ऐसा आचरण दोनों ओर से क्यों नहीं होता ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. यदि कोई हिन्दू धर्म पर आक्रमण करे, तो उसके विरोध में मैं अहिंसक संघर्ष करने के लिए तैयार हूं ! (क्या, स्वामीजी को इसकी जानकारी है कि मोहनदास गांधीजी के ‘अहिंसक संघर्ष’ से भारत का विभाजन हुआ ! १० लाख हिन्दुओं की हत्या हुई ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
४. भटकळ एवं गंगावती गावों में मुसलमानों ने मुझे आमंत्रित किया एवं मेरे हाथों एक मस्जिद का उद्धाटन कराया। भटकळ एवं कासारगोड में उन्होने मेरा सम्मान भी किया। मैंने उन्हें रोजा खोलने हेतु आमंत्रित किया, इस में कुछ भी अयोग्य नहीं है। इस घटना की ओर मानवता के दृष्टिकोण से देखना चाहिए ! (यह तत्त्वज्ञान अच्छा ही है; परंतु यदि मुसलमान उसका पालन नहीं करते हैं एवं केवल हिन्दुओं का उनकी ओरसे ऐसा आचरण करना आत्मघात होगा ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
५. नमाज ईश्वर की प्रार्थना है। इस में हिन्दुओं के विरोध का क्या संबंध ? रोजा खोलने पर उन्होंने नमाज पढने की अनुमति मांगी, जो मैंने दी। इसके लिए मंदिर के अतिरिक्त कोई स्थान नहीं था। (कल यदि मुसलमानों ने पूरा मठ ही स्थायी रूप से मांगा, तो क्या उन्हें दे दिया जाएगा ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात