श्री महालक्ष्मी मंदिर विवाद
‘श्री अंबाबाई मंदिर पुजारी हटाव संघर्ष समिति’ को वैधानिक दर्जा नहीं दे सकते ! – श्री. चंद्रकांत पाटिल
कोल्हपुर : श्री महालक्ष्मी मंदिर विवाद को आधार बना कर नगर में जातीय तनाव उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है। मंदिर विवाद समाप्त करने हेतु शासन नियुक्त समिति में देवीभक्त, धार्मिक क्षेत्र के अभ्यासक तथा भक्तों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित करने एवं अन्य मांगों का ज्ञापन श्री महालक्ष्मी देवस्थान भ्रष्टाचार विरोधी कृति समिति की ओर से समिति के प्रवक्ता श्री. सुनील घनवट एवं बजरंग दल के जिलाप्रमुख श्री. संभाजी साळुंखे ने पालकमंत्री श्री. चंद्रकांत पाटिल को २८ जून को प्रस्तुत किया ।
इस अवसर पर श्री. पाटिल ने कहा, ….
‘श्री महालक्ष्मी मंदिर के पुजारी हटाव आंदोलन के संदर्भ में नियुक्त ‘श्री अंबाबाई मंदिर पुजारी हटाव संघर्ष समिति’ को वैधानिक दर्जा देना संभव नहीं है। श्री महालक्ष्मी देवस्थान भ्रष्टाचार विरोधी कृति समिति अपना मत एवं सूचनाएं जिलाधिकारी को प्रस्तुत कर उनसे चर्चा करें !’
इस अवसर पर शिवसेना के कागल नगरप्रमुख श्री. किरण कुलकर्णी, श्री महालक्ष्मी देवस्थान भ्रष्टाचार विरोधी कृति समिति के सदस्य श्री. प्रमोद सावंत, पतित पावन संघटन के जिलाध्यक्ष श्री. सुनील पाटिल, हिन्दू जनजागृति समिति के पश्चिम महाराष्ट्र समन्वयक श्री. मनोज खाडये, श्री. मधुकर नाजरे, हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. गोविंद देशपांडे आदि हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे।
श्री महालक्ष्मी मंदिर के पुजारी हटाव आंदोलन के संदर्भ में नियुक्त समिति को वैधानिक दर्जा देने से पालकमंत्री श्री. चंद्रकांत पाटिल ने २८ जून को स्पष्ट रूप से मना किया। श्री पाटिल ने सर्वदलीय अंबाबाई भक्त समिति के कार्यकर्ताओं से कहा कि, आप ही समिति नियुक्त कर जनमानस को समझें एवं वस्तुनिष्ठ ब्यौरा दें ! ३ माह पश्चात समितिद्वारा उसके ब्यौरे से की गई सूचनाएं एवं दिया सुझाव निर्णय नहीं है। निर्णय करने का अधिकार राज्य के विधि एवं न्याय विभाग को होगा। इस समय पालकमंत्री ने ऐसा स्पष्टीकरण भी दिया। आंदोलन की पार्श्वभूमि पर पिछले सप्ताह जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई है। श्री पाटिल ने इस समिति को ३ माह में ब्यौरा देने हेतु कहा था। इस के अनुसरण में सर्वदलीय कृति समिति के कार्यकर्ताओं ने श्री. पाटिल से भेंट की।
श्री. चंद्रकांत पाटिल ने आगे कहा कि, पुजारी हटाने का निर्णय भी संघर्ष समिति नहीं कर सकती। यदि वेतन पर पुजारी रखना है, तो प्राधान्य किसे दे, अर्हता क्या हो, परंपरागत पद्धति में उपयुक्त परिवर्तन कौनसे हों, इस संदर्भ में सूचनाएं समिति दें !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात