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इस सरोवर में प्रभु श्रीराम ने धोया था रावण को मारने के बाद ब्रह्महत्‍या का पाप !

उत्तर प्रदेश में एक ऐसा सरोवर है जहां पर सारे पाप धुल जाते हैं। कहते हैं कि प्रभु श्रीराम ने रावण को मारने के बाद यहीं स्‍नान किया था।

नैमिषारण्‍य क्षेत्र में है स्‍थित

उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग १५० किलोमीटर दूर हरदोई जनपद की संडीला तहसील में बड़ा ही प्रसिद्ध नैमिषारण्‍य क्षेत्र है। यहां पर एक सरोवर है जिसे हत्‍याहरण तीर्थ सरोवर के नाम से जाना जाता है। बताते हैं कि इस सरोवर में स्‍नान करने के बाद पापों से मुक्ति मिल जाती है। लोग दूर-दूर से यहां आते हैं और सरोवर में डुबकी लगाते हैं।

क्‍या है मान्‍यता

स्‍थानीय मान्‍यताओं के अनुसार, जब भगवान राम ने रावण का वध कर दिया था, तो उन्‍हें ब्रह्महत्‍या का दोष लग गया था। उस पाप को मिटाने के लिए प्रभु श्रीराम ने इस सरोवर में स्‍नान किया था। तब से इसे हत्‍याहरण तीर्थ सरोवर के नाम से जाना जाने लगा। कुछ लोग इसकी दूसरी कहानी भी बताते हैं कि, कहा जाता है कि शौनक ऋषि ज्ञान की पिपासा शान्त करने के लिए ब्रहमा जी के पास गए। ब्रहमा जी ने उन्हें एक चक्र दिया और कहा कि इसे चलाते हुए चले जाओ। जहाँ चक्र की नेमि (बाहरी परिधि) गिरे, उसे पवित्र स्थान समझकर- वहाँ आश्रम स्थापित कर लोगों को ज्ञानार्जन कराओ। शौनक ऋषि के साथ कई अन्य ऋषिजन इसी प्रयोजन से चले।

यह क्षेत्र ऋषियों की तप स्‍थली हुआ करती थी

अन्तत: गोमती नदी के तट पर चक्र की नेमि गिरी और भूमि में प्रवेश कर गयी। तभी से यह स्थल चक्रतीर्थ तथा नैमिषारण्य के नाम से विख्यात हुआ। जनश्रुति के अनुसार नैमिषारण्य का नाम ‘निमिषा’ का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता नेत्र की आभा। वैदिक काल में यह तपस्थली एक प्रमुख शिक्षा-केन्द्र के रूप में विख्यात थी। पौराणिक मान्यतानुसार नैमिषारण्य ८८००० ऋषि-मुनियों के तप-ज्ञानार्जन का केन्द्र था।

स्त्रोत : जागरण

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