उडुपी के श्रीकृष्ण मठ में आयोजित इफ्तार पार्टी का प्रकरण
कन्नड भाषिक वाहिनी ‘नम्म टीवी’ पर आयोजित चर्चासत्र
उडुपी (कर्नाटक) : मुझे यह कहने में दु:ख होता है कि, आज के कुछ मठाधीश एवं स्वामीयों को धर्मशिक्षा देने की आवश्यकता पड़ गई है। उन्होंने धर्म के लिए कुछ नहीं किया, ऐसा हमारा कहना नहीं है; किंतु श्रीकृष्ण मठ के श्री विश्वेशतीर्थ स्वामीजी (पेजावर स्वामीजी) ने इफ्तार पार्टी देकर एक बड़ी भूल की है ! केवल स्वामीजी ही नहीं, अपितु हिन्दू धर्मशास्त्र के विरोध में कृति करनेवाले हरएक का हम निषेध ही करते आये हैं !
हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य समन्वयक श्री. गुरुप्रसाद ने ऐसा प्रतिपादित किया। कन्नड भाषिक वाहिनी ‘नम्म टीवी’ पर श्रीकृष्ण मठ में आयोजित इफ्तार पार्टी के प्रकरण में एक चर्चासत्र का आयोजन किया गया था। उसमें वे बोल रहे थे। इस परिचर्चा में मुसलमानों के प्रतिनिधि के रूप में हैदर उपस्थित थे।
१. श्री. गुरुप्रसाद ने आगे कहा कि, श्री विश्वेशतीर्थ स्वामीजी ने मठ जैसे पवित्र स्थान में गोमांस खानेवालों को और गोहत्या करनेवालों को बुलाकर वहांपर उनको नमाजपठन करने का भी अवसर देकर हिन्दुओं की भावनाओं को आहत किया है। समिति इसका निषेध करती है !
२. श्री विश्वेशतीर्थ स्वामीजी को मस्जिद में बुलाया जाता है। अतः उन्होंने मठ में मुसलमानों को बुलाया, तो उसमें चूक क्या है ?, ऐसा प्रश्न पूछे जानेपर श्री गुरुप्रसाद ने कहा, ‘‘क्या आपने कभी मस्जिदों में गणेशोत्सव, नवरात्र अथवा दीपावली मनाई गई, ऐसा कभी सुना है ? शांति एवं सौहार्द हेतु इफ्तार पार्टी का आयोजन करना यह किसी समस्या का समाधान नहीं है। उसके लिए अन्य अनेक विकल्प हैं। इस घटना के लिए स्वामीजी को हिन्दुओं से क्षमा मांगनी चाहिए। मूलरूप से हिन्दुओं को सौहार्द सिखाने की आवश्यकता ही नहीं है, वो तो मुसलमानों को सिखानी चाहिए ! मठ में नमाजपठन किए जाने से मठ में गोमूत्र छिडककर वहां का शुद्धिकरण किया जाना चाहिए !
३. स्वामीजी के इस कृत्य का अनेक हिन्दू संघटनोंद्वारा समर्थन किया गया है। ऐसा होते हुए केवल आप ही उनका विरोध क्यों करते हैं ?, ऐसा पूछे जानेपर श्री. गुरुप्रसाद ने कहा, ‘‘जो स्वामीजी का समर्थन कर रहे हैं, वे केवल ‘मतपेटी’ के लिए वैसा कर रहे हैं और हम तत्त्वनिष्ठ होने के कारण विरोध कर रहे हैं !’’
४. इस समय हैदर ने कहा कि, स्वामीजी एक बडा व्यक्तित्व है; किंतु एक छोटीसी घटना के आधारपर आप उनका अनादर कर रहे हो !
५. इसका प्रत्युत्तर करते हुए श्री. गुरुप्रसाद ने कहा, ‘‘यदि कोई मौलवी जीवनभर इस्लाम के अनुसार आचरण करता हो तथा एक बार उसने यदि इस्लाम के विरोध में कुछ बोला, तो क्या आप उसे ऐसा ही छोडेंगे ? आप जैसे उसे नहीं छोडेंगे, वैसे हम भी इस घटना का विरोध कर रहे हैं !’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात