कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
![शरिया कोर्ट में ट्रायल के दौरान गवर्नर बदरी (दांए)](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2014/10/taliban-1.jpg)
काबुल : एक ओर जहां एक दशक से ज्यादा समय बीतने के बाद अंतरराष्ट्रीय सैनिक अफगानिस्तान छोड़ने की तैयारी में हैं, वहीं दूसरी ओर तालिबान देश के कुछ हिस्सों में मजबूत पकड़ बनाए हुए है। इन हथियारबंद आतंकियों के गढ़ के भीतर की जिंदगी कैसी है, बीबीसी के पैनोरमा प्रोग्राम की टीम ने इसे जानने की कोशिश की। उन्होंने वहां की कुछ तस्वीरें भी जारी की हैं। राजधानी काबुल से दक्षिण-पश्चिम की ओर महज ६० मील (९७ किमी) दूरी पर टैंगी पहाड़ी घाटी है, जो तालिबान का गढ़ है। इसे ‘गेट-वे टू काबुल’ घाटी नाम से भी जाना जाता है। ये वही जगह है, जहां से दहशतगर्द काबुल में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं। बीते कुछ सालों में ये इलाका नाटों और आतंकियों के बीच की विध्वंसक लड़ाई का गवाह रहा है।
तालिबान का तरीका बर्बर
यह इलाका पश्चिमी पत्रकारों के लिहाज से भी काफी खतरनाक है। हथियारबंद आतंकियों द्वारा पत्रकारों का अपहरण यहां आम बात है। रहमान नाम का शख्स यहां का स्वयंभू नेता है। वह गवर्नर बदरी नाम से यहां कुख्यात है। रहमान की उम्र सिर्फ २७ साल है। उसने २००१ में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना के लड़ाई शुरू की थी। उसके मुताबिक, वह तब तक लड़ता रहेगा, जब तक अमेरिकी सैनिक देश छोड़ कर चले नहीं जाते। वह यह भी चाहता है कि पूरे अफगानिस्तान में इस्लामिक कानून की स्थापना हो।
इस आतंकी का दावा है कि तालिबान अपनी विचारधारा लोगों पर थोपना नहीं चाहता, जबकि हकीकत कुछ और है। अधिकांश अफगानी इस समूह के बर्बर तरीकों के विरोध में हैं। रहमान के मुताबिक, शरिया कोर्ट में मामले काबुल के सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से कहीं तेजी से निपटाए जाते हैं। तालिबान सजा देने में काफी बर्बर तरीका अपनाता है। इसमें लोगों के हाथ-पैर काट देने से लेकर व्यभिचार मामले में पत्थरों से मारने का हुक्म भी शामिल है। रहमान ने कहा, “लोग मुसलमान हैं और वे एक इस्लामिक सरकार चाहते हैं, जबकि पश्चिमी लोग ऐसा नहीं चाहते। हम जिन्हें मार रहे हैं, वो दरअसल इस देश के दुश्मन हैं।”
छात्राओं की शिक्षा पर प्रतिबंध
टैंगी घाटी के स्कूलों पर तालिबान का नियंत्रण है। यहां के इमाम अबु हनिफा स्कूल में ५० शिक्षक सहित तकरीबन १,४०० छात्र हैं। तालिबान ने यहां गणित, विज्ञान विषयों के अलावा धार्मिक विषयों को अनिवार्य रखा है। यहां के स्कूलों में छात्राएं नहीं दिखती। इलाके में दूर-दूर तक लड़कियों के आने-जाने पर पाबंदी है। भले ही तालिबान लड़कियों की शिक्षा पर लगे प्रतिबंध में ढील देने की बात करता है, लेकिन स्कूल के प्रमुख शिक्षक मोहम्मद सलेम स्वीकारते हैं कि स्कूलों में लड़कियों को आने नहीं दिया जाता। गौरतलब है कि तालिबानी एजेंडे पर चलने वाले इस स्कूल का खर्च अफगान सरकार वहन करती है। अफगान सरकार के शिक्षा बजट का अधिकांश पैसा पश्चिम और ब्रिटेन से आता है।
अफगानी सैनिक जोखिम नहीं लेते?
रहमान ने बीबीसी के पत्रकारों को वो हर इलाका दिखाया, जहां उसका नियंत्रण है। उसने टीम को पहाड़ी की चोटी से उस मिलिट्री बेस को भी दिखाया, जिसे तीन साल पहले अमेरिकी छोड़ कर चले गए। बीबीसी के मुताबिक, २०११ में इस जगह अमेरिकी सैनिकों ने खूनी संघर्ष का दौर देखा था। तब चिनूक हेलिकॉप्टर को आतंकियों ने मार गिराया था। ३८ लोग मारे गए थे, जिसमें १७ अमेरिकी नेवी सील के जवान थे। आर्मी प्रवक्ता जनरल मोहम्मद जाहिर आजिमी ने कहा कि वर्दाक प्रांत पर अफगानी सेना का पूरा नियंत्रण था, लेकिन तालिबानी टैंगी घाटी में आराम से आ जा रहे थे। रहमान के मुताबिक, अफगानी सैनिक शायद ही जोखिम लेते हैं।
‘अगला मिशन काबुल’
टैंगी घाटी में तालिबानी सैन्य कमांडरों में से एक इन्तेकाम का दावा है कि टैंगी घाटी पूरी तरह तालिबानी नियंत्रण में है। और अगला मिशन काबुल पर कब्जा करना है। हालांकि, काबुल शहर छावनी में तब्दील हो चुका है। यहां १,५०,००० से भी ज्यादा पुलिस अधिकारी और तकरीबन २,००,००० सैनिक शहर की ओर कूच कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश की तैनाती शहर के चारों की गई है। आर्मी प्रवक्ता जनरल आजिमी ने जोर देकर कहा, “तालिबान की रणनीति विफल साबित हुई है।”
पुलिस रैपिड रिएक्शन फोर्स के कर्नल मिरवाइस ने कहा कि तालिबान की कमजोरी है कि वो माइंस, विस्फोट और आत्मघाती हमले करते हैं। उनके पास सैनिकों से आमना-सामना करने की ताकत नहीं है। गौरतलब है कि १३ साल की लंबी लड़ाई के बाद अफगानिस्तान से इस साल अमेरिकी नेतृत्व वाले नाटो सैनकों की वापसी होनी है। अमेरिकी इतिहास में इसे सबसे लंबे और खर्चीले युद्ध के तौर पर भी जाना जाता है।
देखें, संबंधित तस्वीरें…
![taliban-2](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2014/10/taliban-2.jpg)
![taliban-3](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2014/10/taliban-3.jpg)
![taliban-4](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2014/10/taliban-4.jpg)
![taliban-5](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2014/10/taliban-5.jpg)
![taliban-6](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2014/10/taliban-6.jpg)
![taliban-7](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2014/10/taliban-7.jpg)
स्त्रोत : दैनिक भास्कर