‘जोधा-अकबर’ इस चित्रपट के प्रकरण में पुलिसद्वारा प्रविष्ट अपराधों का प्रकरण !
सांगली : २७ फरवरी २००८ को जोधा-अकबर इस चित्रपट में इतिहास का विकृतीकरण होने से श्रीशिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था। इस प्रकरण में पुलिस ने हिन्दुत्वनिष्ठों पर अकारण लाठीमार करने से उसका रूपांतर दंगे में हुआ था। उस समय पुलिसकर्मियों ने श्रीशिवप्रतिष्ठान के कार्यकर्ता सर्वश्री हणमंतराव पवार, नितीन चौगुले, अविनाश सावंत, मिलींद तानवडे, अनिल तानवडे, नितीन काळे, हरिदास पडळकर, शाहीर मोहन यादव इन आठ कार्यकर्ताओं के विरोध में विविध धाराओं के अनुसार अपराध प्रविष्ट किया गया था।
४ जुलाई को इस प्रकरण का परिणाम घोषित हुआ। इस प्रकरण में मुख्य न्यायदंडाधिकारी श्री. एन.एच. मखरे ने श्री शिवप्रतिष्ठान के आठ कार्यकर्ताओं को निर्दोष मुक्त किया। इस प्रकरण में श्री शिवप्रतिष्ठान के कार्यकर्ताओं का पक्ष में अधिवक्ता श्री. राजेंद्र शिंपी ने संभाला।
इस प्रकरण में पुलिस ने भादंवि ३५३, १४३, १४७, १४८, तथा अन्य धाराओं के अनुसार अपराध प्रविष्ट किया था। इसमें मुख्य रूप से मल्टीप्लेक्स थिएटर बंद करने पर विवश करना, चित्रपटगृह की हानि करना, पुलिसकर्मियों पर आक्रमण कर शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करना तथा अन्य आरोप लगाए गए थे। इस प्रकरण में पुलिस कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं प्रस्तुत कर सकी। पुलिस अधिकरियों के साक्षी में अंतर था तथा पुलिसकर्मियोंद्वारा प्रस्तुत अनेक प्रमाण अपर्याप्त थे। इसलिए न्यायाधीश ने उपरोक्त सभी लोगों को मुक्त किया।
इस प्रकरण में अधिवक्ता श्री. राजेंद्र शिंपी ने नि:स्वार्थता से तथा अत्यंत लगन से श्रीशिवप्रतिष्ठान के सभी कार्यकर्ताओं के पक्ष में विवाद किया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात