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हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से पंढरपुर में ‘वारकरी संत संमेलन’ का आयोजन
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पंढरपुर में वारकरी ‘भजन आंदोलन’ करेंगे !
शासन को जो स्वयंस्फूर्ति से करना चाहिए, उसके लिए वारकरियों को आंदोलन करने की स्थिति आना शासन के लिए लज्जाप्रद है ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात
पंढरपुर (महाराष्ट्र) : मंदिरों की रक्षा करने हेतु संप्रदाय एवं हिन्दुत्वनिष्ठों को सभी भेदों को भूलाकर संगठितरूप से कार्य करना चाहिए । धार्मिक परंपराआें के साथ किसी भी प्रकार का समझौता न कर परंपराएं एवं धार्मिक कृत्यों का पालन करना होगा । वैसा न होने के कारण शासन द्वारा नियुक्त की गए श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति विसर्जित की जानी चाहिए । महाराष्ट्र राज्य वारकरी महामंडल के अध्यक्ष ह.भ.प. प्रकाश महाराज जवंजाळ ने यह मांग की । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से यहां के स्वतंत्रतावीर सावरकर वाचनालय में आयोजित किए गए ‘वारकरी संत संमेलन’ को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसरपर वारकरी संप्रदाय में निहित पदाधिकारी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे ।
डॉ. वीरेंद्रसिंह तावडे के कारण ही हम सनातन के साथ जुड गए, इसपर हमें गर्व है ! – ह.भ.प. प्रकाश महाराज जवंजाळ
डॉ. वीरेंद्रसिंह तावडे को झूठे आरोपों में फंसाया गया है । यह पुरोगामियों का षडयंत्र है । डॉ. तावडे ने अत्यंत लगन से और दृढता के साथ हिन्दूसंगठन का कार्य किया । हिन्दू धर्म के उत्कर्ष हेतु कठोर परिश्रम करनेवाले डॉ. तावडे को न किए गए अपराध के कारण कारावास भुगतना पडना खेदजनक है । डॉ. तावडे ने ही हमें सनातन के साथ जोडा, इसपर हमें अत्यंत गर्व है । डॉ. तावडे निर्दोष हैं, यह पूरे विश्व को ज्ञात हो तथा वे यथाशीघ्र मुक्त हों; इसके लिए मैं ईश्वर के चरणों में प्रार्थना करता हूं । आज हिन्दुत्व के कार्य हेतु उनकी अत्यंत आवश्यकता है । अतः उनका अभाव प्रतीत होता है, ऐसा कहते हुए ह.भ.प. जवंजाळ महाराज भावुक हो गए ।
ह.भ.प. प्रकाश महाराज जवंजाळ ने आगे कहा . . .
आषाढी एकादशी के दिन अनेक राजनेता पंढरपुर आए हुए थे । उस समय वारकरियों ने मंत्री सदाभाऊ खोत तथा मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों से मंदिर समिति को विसर्जित करने की मांग की थी । इसपर इन सभी ने मंदिर समिति के विसर्जन के विषय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बातचीत कर ६ जुलाईतक शासन के निर्णय से हमें अवगत कराने का आश्वासन दिया था, तथापि उन्होंने इस आश्वासन का पालन नहीं किया । इसके विरोध में ८ जुलाई को दोपहर ३ से ५ बजे की अवधि में महाद्वारापर वारकरियों की ओर से ‘भजन आंदोलन’ किया जाएगा । शासन श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर की कार्यपद्धति के विषय में उदासीन है और जबतक इस समिति को विसर्जित नहीं किया जाता, तबतक वारकरी संप्रदाय किसी भी प्रकार के शासकीय सम्मानों का स्वीकार नहीं करेंगे । हिन्दू जनजागृति समिति के जनपद समन्वयक श्री. राजन बुणगे ने वारकरी संत संमेलन की प्रस्तावना की । इस संमेलन में अन्य मान्यवरों द्वारा व्यक्त किए गए विचार निम्न प्रकार से हैं
हिन्दुत्व का पुरस्कार करनेवाली मंदिर समिति चाहिए ! – ह.भ.प. रामेश्वर महाराज शास्त्री, संस्थापक-अध्यक्ष, वारकरी उद्बोदन महासमिति
पालकी समारोह तो समस्त हिन्दुआें का है । अतः पालकी समारोह में हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को भाग लेने का विरोध किया जाना दुर्भाग्यजनक है । इस विषय में पालकी समारोह प्रमुख की क्या भूमिका है, उसे जान लेनेकी आवश्यकता है । हिन्दुत्वनिष्ठों को झूठे आरोपों में फंसाकर बंदी बनाया जाना दुर्भाग्यजनक है । हिन्दुत्व का पुरस्कार करनेवाले मंदिर समिति की स्थापना होनी चाहिए । हमारे आचार-विचारों में छत्रपति शिवाजी महाराज होने चाहिएं ।
हरिपाठ का लेशमात्र भी ज्ञान न होनेवालों को मंदिर समितिपर नियुक्त किया गया है ! – भागवताचार्य वा.ना. उत्पात
मंदिर समितिपर जिनको नियुक्त किया गया है, उनको हरिपाठ का लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है । शासन की ओर से ऐसे लोगों को नियुक्त किया जाएगा, ऐसा नहीं लगा था । पालकी समारोह में हिन्दुत्वनिष्ठों को रोका जाना दुर्भाग्यजनक है । समारोह में हिन्दुत्वनिष्ं संगठनों की अंतर्निहिता के विषय में पालकी समारोह के प्रमुखों की क्या भूमिका है ?, यह उनसे पूछना पडेगा ।
धर्मपर हो रहे आघातों के विरुद्ध की न्यायालयीन लडाई हेतु सहायता करेंगे ! – अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर, हिन्दू विधिज्ञ परिषद
राष्ट्र एवं धर्मपर हो रहे आघातेां के विरुद्ध हिन्दू विधिज्ञ परिषद संवैधानिक पद्धति से लड रही है । परिषद द्वारा मंदिरों के सरकारीकरण के विरुद्ध न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है । हिन्दू विधिज्ञ परिषद धर्मपर हो रहे आघातों के विरुद्ध न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करने के लिए आवश्यक कानूनी सहायता करेगी ।
देवस्थान समिति देवालयों में व्याप्त चैतन्य को बढानेवाली होनी चाहिए ! – श्री. मनोज खाडये, हिन्दू जनजागृति समिति
सरकारीकरण किए गए सभी मंदिरों की व्यवस्थापन समितियां राजनेताआें का राजनीतिक आखाडे नहीं, अपितु वह मंदिरों में व्याप्त चैतन्य को बढानेवाली होनी चाहिएं । मंदिर सरकारीकरण जैसे निर्णयों के विरुद्ध समस्त हिन्दुआें को संगठितरूप से आवाज उठानी चाहिए । ‘लोकपत्र’ के कार्यकारी सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात रवींद्र तहकीक द्वारा ‘तुकाराम महाराज के लिए ही कहांसे, कैसे और क्यों आया वैकुंठ का विमान ?’, इस शीर्षक के तले किया गया लेखन, साथ ही हिन्दुआें की धार्मिक यात्राएं एवं वारकरियों की फेरी के विषय में किया गया विकृत लेखन का वैधानिक पद्धति से विरोध करने की आवश्यकता है ।
श्री क्षेत्र पंढरपुर में की जानेवाली मदिरा एवं मांस की बिक्री बंद करने की मांग
आज के दिन श्री क्षेत्र पंढरपुर में मदिरा एवं मांस की दुकानें लगाई गई हैं तथा उनके माध्यम से इस तीर्थस्थान की पवित्रता को नष्ट करने का कृत्य चलाया जा रहा है । इसके कारण हिन्दुआें की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं । इसके अतिरिक्त नागरिक भी बुरी आदतों की बली चढ रहे हैं; इसलिए शासन श्री क्षेत्र पंढरपुर में मदिरा एवं मांस का उत्पादन, संग्रह, परिवहन एवं उनकी बिक्रीपर १०० प्रतिशत प्रतिबंध लगाए और उससे पंढरपुर की पवित्रता को बनाया रखा जाए, यह मांग भी इस समय की गई ।
उपस्थित मान्यवर
ह.भ.प. नरहरी महाराज चौधरी, ह.भ.प. रामचंद्र महाराज पेनोरे, ह.भ.प. अनिल महाराज बडवे, ह.भ.प. मारुति महाराज तुणतुणे, ह.भ.प. मानसिंग महाराज राजपूत, ह.भ.प. बापू महाराज रावकर, ह.भ.प. कृष्णा महाराज अहिरे, ह.भ.प. नितीन महाराज कदम, ह.भ.प. गोविंद महाराज कानगुले, ह.भ.प. आसाराम महाराज बटुळे एवं ह.भ.प. योगेश महाराज कदम
इस वारकरी संत संमेलन में निम्न प्रस्ताव पारित किए गए . . .
१. पंढरपुर, देहू, आळंदी एवं पैठण इन तीर्थस्थानों को १०० प्रतिशत मदिरा-मांसमुक्त किया जाए ।
२. महाराष्ट्र में निहित फेरी के मार्गपर स्थित सभी मुख्य शहरों में वारकरियों की नियमित रूप से व्यवस्था हो; इसके लिए सभी मुख्य शहरों में वारकरी भुवनों का निर्माण किया जाए ।
३. संत, संतपरंपरा, तीर्थस्थान, फेरियां एवं वारकरी परंपरापर विकृत लेखन करना तथा उनकी आलोचना करनेवालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही होने हेतु महाराष्ट्र शासन अलग कानून बनाए ।
४. नोटबंदी के समय दानपेटियों में नोटों का हेरफेर करनेवाले अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए ।
५. श्री. विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति के अंतर्गत संचालित गोशाला में स्थित गायों की मृत्यू के लिए उत्तरदायी अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए ।
६. महाराष्ट्र में सरकारीकरण किए गए सभी मंदिर एवं देवस्थानों को शासन के नियंत्रण से मुक्त कर उनको भक्तों के नियंत्रण में सौंपा जाए ।
मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणामों के विषय में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति ने समाज को जागृत किया ! – ह.भ.प. बाबुराव वाघ महाराज
ह.भ.प. बाबुराव वाघ महाराज ने कहा, ‘‘सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति ने दैनिक सनातन प्रभात के माध्यम से मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणामों मे विषय में समाज को जागृत किया । इससे उनकी दूरदृष्टि उजागर होती है । आज विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में चलनेवाले नित्योपार बंद किए गए हैं । श्रीविठ्ठल एवं रुक्मिणी को एक ही भोग लगाया जाता है । इन देवताआें की वेशभूषा, न्यास एवं पूजन के समय किए जानेवाले मंत्रोच्चार सदोष हैं ।’’
मंदिर समिति को विसर्जित नहीं किया गया, तो विधानभवनपर फेरी निकालेंगे ! – संतवीर ह.भ.प. बंडा महाराज कराडकर
पंढरपुर – नवनियुक्त श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति को विसर्जित नहीं किया गया, तो विधानभवनपर फेरी निकालेंगे । संतवीर ह.भ.प. बंडा महाराज कराडकर ने यह चेतावनी दी । मंदिर समिति को विसर्जित करने की मांग को लेकर यहांपर ६ जुलाई को आयोजित बैठक में वे ऐसा बोल रहे थे । इस बैठक में पालकी समारोह के प्रमुख, विविध वारकरी संगठनों के अध्यक्ष एवं वारकरी संप्रदाय में निहित अनेक धर्माचार्य उपस्थित थे । इस बैठक में मंदिर समिति को तत्काल विसर्जित नहीं किया गया, तो ३ चरणों में चलाए जानेवाले आंदोलन की दिशा सुनिश्चित की गई ।
१. आषाढी फेरी की पूर्वसंध्यापर भाजपा नेता अतुल भोसले की अध्यक्षता में श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति की घोषणा की गई । इस समिति में राजनेताआें की ही अधिक भरमार है तथा इन व्यक्तियों का वारकरी संप्रदाय के साथ लेशमात्र भी संबंध नहीं है । शासन द्वारा अभक्ष भक्षण एवं अपेयपान करनेवालो लोगों की नियुक्ति कर वारकरी संप्रदाय का अनादर किया है । (मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम ! – जो वारकरियों के ध्यान में आता है, वह शासन के ध्यान में क्यों नहीं आता ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात) मुख्यमंत्री द्वारा घोषित की गइॅ यह समिति वारकरी संप्रदाय को स्वीकार्य नहीं है ।
२. शासन द्वारा किए गए इस निर्णय के विरोध के रूप में ८ जुलाई को श्री विठ्ठल मंदिर के सामने स्थित नामदेव सीढीपर प्रतिकात्मक भजन आंदोलन, तो दूसरा आंदोलन श्रावण मास में स्थित एकादशी को किया जानेवाला है । शासन की ओर से यदि इन दोनों आंदोलनों का संज्ञान नहीं लिया जाता, तो विधानभवनपर विशाल फेरी निकाली जाएगी ।
३. वर्तमान समिति में न्यायालय के निर्देश के अनुसार जो आरक्षित नियुक्तियां करनी हैं, उनकी उपलब्धता वारकरी संप्रदाय में है । अतः ये सभी नियुक्तियां वारकरी संप्रदाय से भरे जाएं ।
सहयोग
इस वारकरी संत संमेलन हेतु भागवतार्चा वा.ना. उत्पात ने स्वतंत्रतावीर सावरकर वाचनालय निःशुल्क उपलब्ध करवाया । इसके साथ ही श्रीराम होटल के स्वामी श्री. श्रीराम गणतुले ने उपस्थित लोगों के अल्पाहार का निःशुल्क प्रबंध किया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात