उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का मरदह क्षेत्र स्वयं में पौराणिक और सांस्कृतिक धरोहर समेटे है । गाजीपुर के मरदह स्थित महाहर धाम में प्राचीन तेरह मुखी शिवलिंग स्थापित है । जहां महाशिवरात्रि पर भक्तों का रेला उमडता है तो वहीं पूरे सावन माह मंदिर परिसर घंटों की आवाज से गुंजायमान रहता है ।
जानें इस धाम के रोचक तथ्य . . .
गाजीपुर जिला मुख्यालय से एनएच-२९ जो गोरखपुर होते हुए नेपाल को जाता है । इसी सडक पर पूर्व दिशा में तकरीबन ३५ किलोमीटर दूर यही वो स्थान है जो मरदह के नाम से जाना जाता है । यहां सावन में बाबा भक्तों का रेला उमडता है ।
ऐसी मान्यता है कि, इस धाम का निर्माण राजा दशरथ ने कराया था । ऐसा माना जाता है कि, महाहर धाम में राजा दशरथ का शब्दभेदी बाण गलती से श्रवण कुमार को जा लगा, जिससे उसकी वहीं मृत्यु हो गई थी । यही वो स्थान है जहां श्रवण कुमार के अंधे और बूढ़े मां-बाप ने राजा दशरथ को श्राप दिया था और उन्होंने भी यहीं प्राण त्यागे थे ।
बाद में ब्रह्म हत्या से बचने के लिए राजा दशरथ ने इस स्थान पर शिव परिवार व भगवान ब्रह्मा की स्थापना की । लोगों की मानें तो राजा दशरथ यहां महल बनाकर अयोध्या से आते-जाते रहते थे ।
लोगों का मानना है कि, राजा दशरथ की गढी जो जमीन के नीचे दबी पडी है उसमें खजाना दबा हुआ है । जिसे कई बार निकालने का प्रयास हुआ परंतु कोई कामयाब नहीं हुआ और आज भी वह रहस्य का विषय बना हुआ है । यह महल दशरथ के गढी के नाम से विख्यात है ।
किवदन्तियों और शिव महापुराण के अनुसार जब इस स्थान ने धार्मिक रूप ले लिया तो यहां सुखे के चलते कुंए के निर्माण के दौरान जमीन में तकरीबन ८ से १० फीट नीचे अलौकिक व विश्व प्रसिद्ध तेरह मुखी आप रूपी शिवलिंग प्रकट हुआ ।
स्त्रोत : अमर उजाला