पौष कृष्ण ६, कलियुग वर्ष ५११४
महापालिका प्रशासनका ढीला कारोबार !
कोल्हापुर, २ जनवरी (संवाददाता) – श्री महालक्ष्मी मंदिर परिसर विकासके प्रस्तावमें अधिकांश तांत्रिक त्रुटियां पाई गई हैं । अतः सार्वजनिक निर्माण विभागद्वारा उसे पुनः महापालिकाके पास भेजा गया है । त्रुटियोंमें सुधार कर पुन:प्रस्ताव भेजनेका आदेश महापालिकाको एक माह पूर्व ही दिया गया है; परंतु महापालिकाने अभीतक यह प्रस्ताव नहीं भेजा है । यह प्रस्ताव १० करोड रुपयोंके कार्यका है । ( श्री महालक्ष्मी मंदिर परिसर विकासका प्रस्ताव भी उचित पद्धतिसे सिद्ध करनेमें असमर्थ महापालिका जैसे प्रशासनके सफेद हाथीका पालन जनताके धनसे क्यों करें ? ऐसे बेकार प्रशासन तंत्रके कारण ही मंदिर परिसरका विकास नहीं होता । ऐसे प्रशासन तंत्रको हटाए बिना मंदिरका विकास नहीं होगा ! – संपादक )
१. महापालिकाने सरकारको १२० करोड रुपयोंका ‘तीर्थक्षेत्र विकास ढांचा’भेजा था । सरकारने प्रथम स्तरपर श्री महालक्ष्मी मंदिर परिसर विकासके लिए १० करोड रुपयोंकी राशि स्वीकृत की है । राशिकी व्यवस्था नियोजन मंडलद्वारा की गई है ।
२. मंदिरके दर्शन मंडप हेतु लगभग पांचसे साढेपांच करोड रुपयोंका तथा मंदिर, तो मंदिरकी प्राचीनता (‘हेरिटेज लुक’) स्थायी रखनेके लिए साढे चारसे पांच करोड रुपयोंका प्रस्ताव सिद्ध किया गया तथा उसे सार्वजनिक निर्माण विभागको दिया गया ।
३. निर्माण विभागको प्रस्तावमें अनेक त्रुटियां दिखाई दी हैं । योजनाके क्रियान्वयनका मानचित्र प्रस्तावके साथ संलग्न नहीं किया गया है । इससे पूर्व वर्ष २००९ में श्री महालक्ष्मी तीर्थक्षेत्र विकास ढांचेमें दर्शन मंडप एवं ‘हेरिटेज’के लिए जो राशि दर्शाई गई थी, वही राशि नए प्रस्तावमें भी दी गई है ।
४. ढाई वर्षके पश्चात कार्यकी दरोंमें परिवर्तन हुआ है । फिर भी महापालिकाने नई दरोंसे प्रस्ताव भेजनेका प्रयास नहीं किया है । प्रत्येक कार्यके लिए निश्चित राशि देना अनिवार्र्य होते हुए भी अनुमानित राशि ही दी गई है ।
५. महापालिकाके संबंधित सूत्रोंसे जानकारी मिली है कि निर्माण विभागद्वारा पुनः भेजे गए प्रस्तावमें त्रुटियां निकालनेका कार्य चल रहा है । अगले सप्ताह निर्माण विभागको यह प्रस्ताव भेजा जाएगा ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात