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गोवा के धार्मिक स्थलों की तोडफोड के प्रकरण में, चर्चसंस्था का पुनः हिन्दूद्वेष स्पष्ट !

‘हिन्दू सम्मेलन एवं भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के वक्तव्य से तोडफोड की घटनाओं को मिला प्रोत्साहन, ऐसी ईसाईयों की अवधारणा है !’ – चर्च संस्था की सत्यशोधन समिति का ब्यौरा

पणजी : राज्य में धार्मिक स्थलों की तोडफोड के प्रकरणों पर चर्चसंस्थाद्वारा एक सत्यशोधन समिति नियुक्त की गई। इस समिति ने राज्य में विविध स्थानों पर तोडे गए क्रॉस का निरीक्षण करने के पश्चात एक ब्यौरा प्रकाशित किया है। इस ब्यौरे में ऐसी जानकारी दी गई है कि, हिन्दू सम्मेलन एवं राजनीतिक दल के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के वक्तव्य से तोडफोड की घटनाओं को प्रोत्साहन मिला है, ईसाईयों की ऐसी धारणा हो गई है। (क्या, सत्यशोधन समिति को केवल क्रॉस ही दिखाई देता है ? श्रीकृष्ण मंदिर में स्थित नंदी एवं तुलसीवृंदावन तथा एक घुमट तोडा, उसका कुछ नहीं ? परेरा ने वर्ष २००३ से १५० धार्मिक स्थल तोडे, जिसमें हिन्दुओं के ३६ से अधिक मंदिर हैं। वस्तुतः इस प्रकरण में एक ईसाई ने हिन्दुओं के धार्मिक स्थल तोडने के कारण उनके धर्म की एक व्यक्ति हिंसक बनी, इसलिए चर्चसंस्था को क्षमायाचना करनी चाहिए थी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

विशेष बात यह है कि, गोवा पुलिस ने धार्मिक स्थलों की तोडफोड प्रकरण में संदिग्ध अपराधी फ्रान्सीस परेरा को १५ जुलाई को बंदी बना कर भी चर्चसंस्थाद्वारा नियुक्त सत्यशोधन समिति ने हिन्दूद्वेष दर्शानेवाला ब्यौरा प्रस्तुत किया है ! (इससे चर्चसंस्था की कट्टरता दिखाई देती है। तोडफोड की घटना में एक ईसाई को बंदी बनाया गया है। फिर भी हिन्दुओं पर आरोप लगानेवाला एवं धार्मिक द्वेष फैलानेवाला ब्यौरा प्रसारित करने के प्रकरण में सत्यशोधन समिति पर कार्रवाई की जानी चाहिए। यह समिति ‘सत्यशोधन’ नहीं, ‘असत्यशोधन’ समिति है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

इस ब्यौरे में आगे कहा गया है कि . . .

१. इन धार्मिक स्थलों के तोडफोड के पीछे कोई व्यक्ति अथवा संघटन कार्यरत है। इसमें गोवा के अल्पसंख्यकों का द्वेष करने का उपक्रम चलानेवाली संघटनों का हाथ है। इन पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ! (इस आरोप में कोई तथ्य नहीं है ! एक ईसाई पकडा गया है। इसलिए अब ईसाईयों के लिए अपना मुंह बंद रखना ही अच्छा है !- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

२. अल्पसंख्यकों में भय एवं असुरक्षा उत्पन्न करने हेतु ये प्रकरण किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यकों में ऐसी भावना उत्पन्न हो गई है कि, ‘उन्हें निम्नस्तर दिया जा रहा है !’ (अल्पसंख्यकों में ‘ऐसी’ भावना उत्पन्न होने के लिए उनके ही धर्मांध व्यक्तियों का अपराधों में सहभाग कारणभूत है ! गोवा में ४० में से १७ विधायक ईसाई होते हुए भी यह भावना क्यों उत्पन्न हुई ? यह सब चर्चसंस्था का दिखावा है ! यह हिन्दुओं को दबाने का ही प्रकार है। अल्पसंख्यकों का सिर पे बिठानेवाली भाजपा को अब तो थोड़ी होशियारी दिखानी चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. ईसाई एवं मुसलमानों के विरोध में अयोग्य प्रसार कर उन्हें लक्ष किया जा रहा है। मुसलमान आतंकवादी एवं पाकिस्तान प्रेमी हैं, ऐसी छवि उत्पन्न की जा रही है ! (अनेक मुसलमान इसिस के संपर्क में हैं, जबकि कुछ सिरिया में जाकर आतंकवादी गतिविधियों में सहभागी भी हो गए हैं। उनके विषय में चर्च की सत्यशोधन समिति चुप, क्यों है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

४. ईसाई पोर्तुगाल के एजंट एवं अराष्ट्रीय हैं तथा वे मिथ्या जानकारी देकर धर्मपरिवर्तन करते हैं, ऐसी ईसाईयों के संदर्भ में छवि बनाई गई है ! (घटित घटनाओं के कारण ही हिन्दुओं की ऐसी भावना हुर्ई है ! चर्च संस्था की तथाकथित शांति समिति को प्रथम बिलिवर्सवालों के संदर्भ में बोलना चाहिए। बिलिवर्सवाले जो करते हैं; क्या, वह चर्चसंस्था को स्वीकार है ? सत्यशोधन समिति को चाहिए कि वह ईसाईयों के इतिहास की भी जांच करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

५. अल्पसंख्यकों का द्वेष करनेवालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए ! (इस के विपरीत एक ईसाई को बंदी बनाए जाने पर भी धार्मिक द्वेष फैलानेवाला ब्यौरा प्रसारित करने के संदर्भ में शांति समिति पर ही कार्रवाई की जानी चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

६. इस प्रकरण में आहत व्यक्तियों को प्रसन्न करने हेतु एवं मुख्य अपराधी की ओर से दूसरी ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु ही फ्रान्सीस परेरा को बंदी बनाया गया है ! (फ्रान्सीस परोरा ने तोडफोड करने की बात प्रत्यक्ष रूप से स्वीकार की है ! यदि इस पर सत्यशोधन समिति का विश्वास नहीं है, तो यही कहना पडेगा कि ईसाईयों में कडा हिन्दूद्वेष ही समाया है ! सरकार इस ब्यौरे पर संज्ञान लेकर सत्यशोधन समिति पर कठोर कार्रवाई करे, यही अपेक्षित है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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