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‘कौन्सिल फॉर सोशल जस्टीस अ‍ॅन्ड पीस’ तथा ‘दक्षिणायन’ हिन्दुओं की क्षमा मांगें ! – हिन्दू जनजागृति समिति

‘इन्क्विजिशन’ की मानसिकता को संजोए रखनेवालों का गोवा में आयोजित हिन्दू अधिवेशन पर पाबंद लगाने का षडयंत्र !

पणजी : हिन्दू जनजागृति समिति के गोवा राज्य प्रवक्ता डॉ. मनोज सोलंकी ने एक प्रसिद्धी पत्रकद्वारा यह मांग की है कि, ‘गत १४ वर्षों से हिन्दू देवताओं की मूर्तियां, तुलसी वृंदावन तथा ईसाईयों के क्रॉस की तोडफोड करने के संदर्भ में फ्रान्सिस्को परेरा नामक एक ईसाई को पुलिस ने प्रमाणों के साथ बंदी बनाने के पश्चात भी गोवा के चर्च से संबंधित संस्था तथा दक्षिणायन के समान पुरोगामी संस्थाएं निरंतर के अनुसार हिन्दुत्वनिष्ठों को ही अपराधी सिद्ध कर रहे हैं !

जिस प्रकार पोर्तुगीज सत्ता में ‘इन्क्विजिशन’ के समय हिन्दुओं के मंदिरों की तोडफोड की जा रही थी, उसी प्रकार से विकृत मानसिकता होनेवाले परेरा ने गत १४ वर्षों में कौन-कौन से धार्मिक स्थलों की कैसी तोडफोड की है, यह प्रात्यक्षिकों के साथ पुलिस को प्रस्तुत किया है !

हिन्दुओं पर अत्याचार करनेवाले ‘इन्क्विजिशन’ के संदर्भ में आजतक क्षमा न मांगनेवाले गोवा के चर्च ने अब तो प्राधान्यता से हिन्दुओं के मंदिर तथा घुमट गिरानेवाले ईसाई परेरा की कृती के संदर्भ में समस्त हिन्दू समाज की क्षमा मांगनी चाहिए; किंतु, प्रत्यक्ष में यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि, ‘उलटा चोर कोतवाल को डांटे’ इस कहावत के अनुसार व्यवहार किया जा रहा है ! शांति के नाम से कार्यरत चर्च संस्था तथा दक्षिणायन’ के समान पुरोगामी संघटनों ने इस घटना को अल्पसंख्यंक तथा बहुसंख्यंक नाम से गोवा में धार्मिक संबध अधिक बिगाडने का अभियान व्यापक किया है। इन संघटनों का वास्तव स्वरूप अब स्पष्ट हुआ है। गोवा में संपन्न होनेवाले अखिल भारतीय अधिवेशन के कारण उन्हें पेटदर्द आरंभ हुआ है। अतएवं वे केवल १ मास पूर्व ही संपन्न हुए अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में ‘बीफ’ के वक्तव्य का संबंध १४ वर्षों से प्रतिमा तथा क्रॉस तोडनेवाले परेरा की कृती के साथ जोड़ने का ‘अलौकिक’ कार्य कर रहे हैं ! अतःऐसे लोगों को गोमंतकीय हिन्दुओं की क्षमा मांगनी चाहिए।

हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों ने यह मांग की है कि, ‘फ्रान्सिस्को परेरा ने स्वयं ही गत १४ वर्षों की अपनी ‘कु-कार्रवाई’ प्रमाणों के साथ पुलिस के सामने प्रस्तुत की है; अपितु मूर्तिभंजन के लिए हिन्दू अधिवेशन तथा साध्वी सरस्वतीजी के कथित वक्तव्यों को उत्तरदायी ठहराने का चर्च संस्था तथा पुरोगामियों का दुर्दैवी प्रयास आरंभ है। उन्होंने यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि, गोवा में संपन्न होनेवाला अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन गत छह वर्षों से चल रहा है तथा साध्वी सरस्वतीजी इस वर्ष पहली ही बार गोवा में अधिवेशन के लिए उपस्थित थी। साथ ही साध्वीजी पर झूठे आरोप करनेवाले यह स्पष्ट करें कि, उनके कथित वक्तव्य के पश्चात गोवा में ‘बीफ’ खानेवालों पर कितनी बार आक्रमणं हुए अथवा कितने लोगों को पथ पर फांसी दी गई ? साध्वीजी के केवल एक वक्तव्य पर इतना हंगामा खड़ा करनेवाले, फ्रान्सिस्को परेरा गत १४ वर्षों से मूर्तिभंजन कर रहा हैं, बहुसंख्यकों की मंदिरों की तोडफोड कर रहा हैं, तुलसी वृंदावन तोड रहा हैं, किंतु इस बात की ओर अनदेखा किया जा रहा है। केवल इतना ही नहीं, उसे सहकार्य करने का प्रयास भी किया जा रहा है !

यह लज्जा की बात है कि, अपना धार्मिक हेतु साध्य करने के लिए ऐसे जहाल अपराधी को सहकार्य करने तक चर्च संस्था का नैतिक अधःपतन हुआ है। चर्च संस्था की ऐसी विद्वेषी भूमिका के संदर्भ में सरकार ने उन्हें केवल सूचित करने की अपेक्षा उनपर त्वरित कार्रवाई करें, साथ ही यह जांच केवल फ्रान्सिस्को परेरा तक ही सीमित रखने की अपेक्षा उसका मूल सूत्रधार कौन है, इस की भी जांच करें !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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