पौष कृष्ण ११, कलियुग वर्ष ५११४
हिंदुओ, शासक एवं पुलिस प्रशासन आपकी रक्षा नहीं कर सकते; परंतु यदि साधना की, तो ईश्वर निश्चित ही रक्षा करेगा !
नई देहली, ७ जनवरी – राजस्थानके एक समारोहमें बोलते हुए प.पू. आसारामजी बापूने ऐसा वक्तव्य दिया है कि सामूहिक बलात्कारपीडित युवतीने यदि बसमें चढनेसे पूर्व सरस्वतीदेवीका मंत्र पढा होता अथवा नामजप किया होता, तो मद्यपी सवार बसमें वह चढी ही न होती । चढनेके पश्चात भी यदि उसने ईश्वरसे प्रार्थना की होती अथवा मद्यपियोंको ‘भाई’ कहकर, उनके हाथपांव जोडकर आर्त्तभाव एवं व्याकुलतासे प्रार्थना की होती, तो संभवतः वह बच गई होती । ( कौरवोंकी सभामें द्रौपदीका वस्त्रहरण होते समय जब उसने भगवान श्रीकृष्णसे प्रार्थना की तो भगवान श्रीकृष्णने ही उसकी रक्षा की । वर्तमान युगमें सर्वत्र कौरव हैं; परंतु द्रौपदीसमान भक्ति करनेवाली महिलाएं दुर्लभ हो गई हैं । वर्तमान समयमें युवक-युवतियां धर्माचरण नहीं करतीं । इसलिए समाज अधर्मी होता जा रहा है । अतः धर्म अर्थात ईश्वर भी उनकी रक्षा नहीं करता । यही प.पू. आसारामजी बापूको बताना है ! – संपादक)
आसारामजी बापूने कहा कि ताली कभी एक हाथसे नहीं बजती, उसके लिए दोनों हाथोंको सामने आना होता है । इसी न्यायके अनुसार देहलीमें हुए बलात्कारके विषयमें केवल बलात्कारियोंको ही अपराधी नहीं माना जा सकता, अपितु बलात्कारित लडकी भी उतनी ही उत्तरदायी है । ( चोर चोरी करता है, तो चोरको सहयोग नहीं दिया जाता । उसीप्रकार इस विषयमें कह सकते हैं कि युवतीको दोष नहीं दे सकते । आज समाजमें पश्चिमी सभ्यताका अंधानुकरण हो रहा है । समाजमें नैतिकताका पतन हो गया है । युवतियां भी मर्यादाओंका उल्लंघन कर रही हैं । इन बातोंको टालनेके लिए धर्माचरण करना आवश्यक है । बलात्कारकी घटनाएं रोकने हेतु समाजको धर्माचरणी बनानेका कार्य अधर्मी शासक नहीं कर सकते । इसलिए हिंदू राष्ट्र ही (अर्थात विश्वकल्याणार्थ सात्त्विक जनताका राष्ट्र) अनिवार्य है ! – संपादक )
फांसीके कानूनके विषयमें प.पू. बापूने कहा कि बलात्कारके विरोधमें कठोर कानूनका कुछ उपयोग नहीं होगा । उसका अनुचित उपयोग किया जाएगा । यदि वैसा कानून हुआ, तो पुरुषोंके साथ संपूर्ण समाजके लिए वह विनाशकारी सिद्ध होगा । ( कानूनका उचित उपयोग करनेवाले राजनेता एवं समाजकी स्थापनाके लिए हिंदू राष्ट्र अनिवार्य है ! – संपादक )
हिंदूद्वेषी प्रसारमाध्यमोंद्वारा प.पू. आसारामजी बापूके वक्तव्यपर आलोचना
प.पू. आसारामजी बापूके विधानोंका विपरीत अर्थ निकालकर उनपर सभी प्रसारमाध्यामोंने आलोचना करना आरंभ किया है । कांग्रेस, भाजपा आदि राजनीतिक दल एवं कुछ तथाकथित बुद्धिवादियोंने भी उनपर आलोचना की है । कर्णावतीमें कुछ हिंदूद्रोहियोंने प.पू. बापूका पुतला भी जलाया । अभिनेता रणबीर कपूरने विधान किया कि प.पू. बापूके सिरकी जांच होनी चाहिए । ( प.पू. आसाराम बापूपर आलोचना करनेवालोंको साधनाका महत्त्व ज्ञात नहीं है । इसलिए ये दुष्परिणाम दिखाई दे रहे हैं ! साधनाके कारण ईश्वर भक्तके लिए दौडकर आता है, यही प.पू. आसाराम बापूको कहना था । अध्यात्मशास्त्रका तनिक भी ज्ञान न रखनेवाले ही प.पू. बापूके वक्तव्यपर आलोचना कर रहे हैं । इससे वे अपने सिरपर पाप बढा रहे हैं । – संपादक )
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात