नई देहली में आश्विन ट्रस्ट एवं वेदश्री ट्रस्ट के संयुक्त विद्यमान में ‘प्राचीन वैज्ञानिक ज्ञान’ इस विषय पर २ दिवसीय कार्यशाला
नई देहली : यहां आश्विन ट्रस्ट एवं वेदश्री ट्रस्ट के संयुक्त विद्यमान में ‘प्राचीन वैज्ञानिक ज्ञान’ इस विषय पर २ दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यशाला में ‘मर्हिष अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेद्वारा लिखित ‘प्राचीन वैज्ञानिक ज्ञान – वर्तमान आधुनिक युग में अनुप्रयोग’ (प्राचीन वैज्ञानिक ज्ञान का वर्तमान आधुनिक युग में होनेवाला व्यावहारिक उपयोग) इस विषय पर शोधप्रबंध प्रस्तुत किया गया।
‘वेदश्री वैदिक विज्ञान विश्वविद्यालय’ के उद्घाटन के उपलक्ष्य में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था। मर्हिष अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की कु. कृतिका खत्री ने यह शोधप्रबंध प्रस्तुत किया। इस शोधप्रबंध के माध्यम से स्पष्ट किया गया कि प्राचीन समय में ऋषिमुनियों को प्राप्त हुआ ज्ञान ही वर्तमान समय में श्रेष्ठ होने की बात पुनः विज्ञान के माध्यम से सिद्ध हो रही है !
शोधप्रबंध प्रस्तुत करते समय अध्यात्म विश्वविद्यालय की श्रीमती संदीप कौर मुंजाल भी उपस्थित थीं।
क्षणिकाएं
१. श्री. पी.व्ही.एन. मूर्ति ने इस शोधप्रबंध के प्रस्तुतीकरण हेतु ‘मर्हिष अध्यात्म विश्वविद्यालय’ को अवसर दिया।
२. इस अवसर पर मोमबत्ती एवं देशी गाय के घी के दिये का प्रयोग करवाया गया। इसके साथ ही मांसाहारी आहार की अपेक्षा शाकाहारी आहार सात्विक होने की बात स्पष्ट की गई।
३. उपस्थित लोगों को शोधप्रबंध अत्यधिक पसंद आया। इस विषय में उन्होंने जिज्ञासा से प्रश्न पूछे। कुछ छात्रों ने ध्यान से विषय सुना एवं उनके जीवन पर होनेवाले अध्यात्म के परिणाम के संदर्भ में चर्चा की।
४. इस कार्यशाला में ‘वैदिक वैज्ञानिक ज्ञान’ इस नियतकालिक का अनावरण किया गया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात