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अवैध झोपडपट्टियोंको सुरक्षा, फिर मंदिरोंको पृथक न्याय क्यों ? – मंदिर महासंघ

पौष कृष्ण १२, कलियुग वर्ष ५११४

मुंबईके २७० से अधिक मंदिरोंको अवैध घोषित कर तोडनेका षडयंत्र !


मुंबई – मुंबई महानगरपालिकाद्वारा घोषित ५३४ अवैध धार्मिक स्थलोंमें से ३२६ धार्मिक स्थल तोडनेका निश्चय गया किया है और समाचारपत्रमें उसकी सूची प्रकाशित की गई है । तोडे जानेवाले धार्मिक स्थलोंमें २७० से अधिक हिंदू मंदिर हैं । इस विषयमें सरकारको सर्वोच्च न्यायालयका आदेश स्वीकार करना चाहिए, इसके उपरांत भी सरकारको जनताकी धार्मिक भावनाओंका  आदर करना चाहिए । 

केवल प्रपत्रोंके अभावमें मंदिरोंको अवैध सिद्ध नहीं किया जा सकता ।  प्राचीन-सात्त्विक मंदिरोंकी रक्षा करनी चाहिए, साथ ही कार्यवाही करते समय सदैवकी भांति अल्पसंख्यकोंके दबावमें आकर केवल उनके प्रार्थना स्थलोंके प्रति पृथक न्याय न करें, ऐसी आग्रहपूर्ण मांग ‘महाराष्ट्र मंदिर एवं धार्मिक संस्था महासंघ’के अध्यक्ष वैद्य उदय धुरीने मुंबई महानगरपालिका प्रशासन, मुंबईके महापौर और महाराष्ट्र सरकारसे की है । 

वैद्य धुरीने स्पष्ट किया है कि सभी मंदिर तोडनेके सरकारके निर्णयका विरोध करने हेतु मंदिर महासंघद्वारा शीघ्र ही सर्व मंदिरोंके पदाधिकारी, हिंदूनिष्ठ एवं धार्मिक संगठनोंकी एक बैठक आयोजित की जाएगी तथा आगेका जनआंदोलन और संघर्षकी दिशा निश्चित की जाएगी ।

मतोंके लिए झोपडियां वैध हो सकती हैं, तो मंदिर क्यों नहीं ?

१. मतोंके लिए सरकार वर्ष २००० तककी अवैध झोपडियोंको वैध करनेके लिए सिद्ध है, तो करोडों लोगोंके श्रद्धास्थल हिंदू मंदिरोंपर ही अन्याय क्यों ?

२. क्या सरकारको यह कहना है कि आज मंदिरोंके अतिरिक्त अन्य कोईं अवैध निर्माण मुंबईमें नहीं हैं । सर्वोच्च न्यायालयके आदेशका कारण सरकार बता रही है, फिर भी उल्हासनगरके अवैध निर्माणकार्यको वैध बनाने हेतु सरकारने विशेष कानून पारित किया  है । उसी आधारपर मंदिरोंको भी सुरक्षा देनी चाहिए । 

३. मंदिरोंको तोडनेकी अपेक्षा योग्य स्थलपर स्थलांतरित करनेका पर्याय चुनना चाहिए ।

४. मुंबई महापालिकाके चुनावसे पूर्व सर्वपक्षीय विधायकोंने विधिमंडलमें एकमतसे मुंबईके धार्मिक स्थल न तोडनेका निर्णय  किया था । उसी निर्णयको स्थायी रखनेकी मांग मंदिर महासंघद्वारा की गई है ।

अन्याय होनेवाले मंदिरोंको महासंघके साथ संपर्क करनेका आवाहन !

जो मंदिर अवैध घोषित कर तोडे जानेकी सूचीमें हैं, उन सभी मंदिरोंके प्रबंधन ३० दिनोंमें (२८ जनवरी २०१३ तक) प्रमाणसहित अपनी आपत्तियां पालिका प्रशासनको  स्वतंत्ररूपसे भेजें ।

आवेदन हेतु पता : महापालिकास्तरके सदस्य सचिव, उपायुक्त (अनि), प्लॉट क्र. ३५८, वर्धमान हाईट्स इमारतके पास, अनंत गणपत पवार मार्ग, कालाचौकी, मुंबई २७

मंदिर महासंघने यह आवाहन किया है कि मंदिर वैध होनेके प्रमाण युक्तिपूर्ण होनेपर भी महापालिका अडी रहे, तो मंदिर प्रबंधन एवं श्रद्धालु मंदिर महासंघसे ९५५२५ ७८८६१ इस क्रमांकपर संपर्क करें ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात 

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