‘अकारण कुछ लोगों को यह लगता है कि, मैं मोदीविरोधी हूं ! बिलकुल नहीं ! वे प्रधानमंत्री हो, इसलिए मैंने ४० सभाएं ली थी; किंतु अब समय बीता जा रहा है, इसलिए मेरे मन में आए विचार प्रस्तुत कर रहा हूं !
मोदी २४ घंटे कार्य करते हैं, विदेश में जाकर संबंध सुधार रहे हैं। विदेश जाकर ‘बिजनेस’ ला रहे हैं। ‘योग दिन’ मना रहे हैं। देश को ‘सेक्युलर’ घोषित कर रहे हैं। लगातार राज्य एवं नगरपालिका चुनाव में जीतने के प्रयास करते हैं। उनके रिश्तेदार पद पर नियुक्त नहीं करते। भ्रष्टाचार नहीं करते !
यह सब ठीक है; किंतु इसका एक दूसरा पक्ष भी है, देश के प्रमुख प्रश्न अलग ही हैं !
उसमें से . . .
• पहला तथा महत्त्वपूर्ण – अवास्तव लोकसंख्या ! उसके लिए समान नागरी अधिनियम लागू करना ही अनिवार्य है !
• नदियां जोडणी प्रकल्प – उसके अतिरिक्त अकाल समाप्त नहीं होगा !
• दलाल पद्धति बंद करना – उसके अतिरिक्त किसानों की आत्महत्या नहीं रूक सकती !
• पाकिस्तान के साथ शत्रु के रूप में सभी स्तरों पर होनेवाले संबंध समाप्त करना ! – उसके अतिरिक्त आतंकवादी कार्रवाईयों पर नियंत्रण पाना असंभव है !
• पूरे विश्व में घुमकर व्यापार वृद्धिंगत करने से, क्या लाभ ?
• ‘बुलेट ट्रेन’ का, क्या उपयोग ?
• ‘शाईन इंडिया’ का, क्या उपयोग ?
• ‘स्मार्ट सिटीज’ का, क्या उपयोग ?
अच्छे रन्स निकाल कर मैच जीतने की अपेक्षा केवल सचिन तेंडुलकर से ही करेंगे, या फिर हरभजन सिंहद्वारा ? समय समाप्त हो रहा है। वर्ष २०१७ का केवल आधा तथा २०१८ का पूरा वर्ष। तत्पश्चात् चुनाव ! हर बार २८२ सीट आएंगी इसकी क्या गॅरंटी ? पश्चात ‘अलायंन्स’ समान कार्यक्रम ! ८० प्रतिशत हिन्दुओं के पक्ष में स्पष्ट रूप से कभी वक्तव्य करेंगे या नहीं ? या निरंतर के समान ‘सो-कॉल्ड सेक्युलॅरिझम’ का (तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावाद का) निधर्मीपन का ढोल बजाते रहेंगे ?’
– श्री. शरद पोंक्षे, प्रसिद्ध अभिनेता एव हिन्दुत्वनिष्ठ (श्री. शरद पोंक्षे के ‘फेसबुक’ पेज से साभार)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात