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क्या, ब्राह्मणों ने शूद्रों को २ सहस्र वर्षोंतक शिक्षा से वंचित रखा ?

‘‘ब्राह्मणों ने २ सहस्र वर्षोंतक शूद्रों को शिक्षा लेने नहीं दी, उन्होंने शूद्रों को जानबूझकर अशिक्षित रखा’’, यह वाक्य आपने कई बार पढा होगा ! ब्राह्मणों के विरोध में द्वेष उत्पन्न करने हेतु इसका बहुत सहजता से उपयोग किया जाता है; किंतु यह पूर्णरूप से असत्य है !

ईस्ट इंडिया कंपनी शासनद्वारा भारत में अपना साम्राज्य स्थापित करने के पश्‍चात वर्ष १८२० से १८४० तक की अवधि में ब्रिटीश अधिकारियों के माध्यम से तत्कालीन भारतीय शिक्षा पद्धति का सर्वेक्षण किया गया था। धर्मपालजीद्वारा लिखित ‘द ब्युटिफुल ट्री’ पुस्तक में इन सभी सर्वेक्षणों का व्यापक अध्ययन उपलब्ध है। विशेषरूप से विल्यम्स अ‍ॅडम्स नामक ब्रिटीश अधिकारीद्वारा किया गया ‘बंगाल एवं बिहार का भारतीय शिक्षण, वर्ष १८३५/३८’ (Vernacular Education in Bengal and Bihar 1835-38) नामक सर्वेक्षण आज की हमारी ऐसी अनेक धारणाओं को अयोग्य सिद्ध करता है !

इन सभी सर्वेक्षणों में दिखाई दे रहीं अतिमहत्त्वपूर्ण बातें . . .

१. भारत में निहित शिक्षापद्धति तत्कालीन ब्रिटीश शिक्षापद्धति से भी श्रेष्ठ !

२. भारत में निहित साक्षरता का स्तर तत्कालीन ब्रिटन से भी अधिक श्रेष्ठ !

३. पुरे भारतवर्ष में ‘एक गांव एक पाठशाला’ के हिसाब से ६ लक्ष पाठशालाएं !

४. सभी पाठशालाओं में सभी जाति के छात्र एक साथ बैठकर शिक्षा ग्रहण करते थे !

५. कुल छात्रों में से शूद्र जाति के छात्रों की संख्या सर्वाधिक ! (शूद्र जाति के ४५ प्रतिशत, ब्राह्मण २० प्रतिशत एवं अन्य ३५ प्रतिशत छात्र, अन्य जाति के)

६. छात्रों के संपत्तिक स्थिति पर आधारित शैक्षणिक शुल्क ! (धनवानों को अधिक, तो गरीबों को अल्प !)

७. कुछ पाठशालाओं में लडकियों का भी अंतर्भाव !

८. इन पाठशालाओं में पढाए जानेवाले प्रमुख विषय : वाचन एवं लेखन (प्रांत के अनुसार अलग-अलग भाषाएं एवं अनेक स्थानोंपर २ से ३ भाषाओं की शिक्षा) एवं बीजगणित

ब्रिटीशों ने अनेक कानून एवं बंधन लगा कर तत्कालिन भारतीय शिक्षापद्धति को धीरे-धीरे नष्ट किया। इसलिए ‘ब्रिटीश इस देश में आए; इसलिए हम शिक्षा ले सकें’, ऐसा कहनेवाले हिन्दूद्रोही नेताओं के आँख खोलनेवाला तीखा अंजन ही है !

(संदर्भ : अज्ञात)

ये सभी सर्वेक्षण एवं पुस्तकें इंटरनेटपर निःशुल्क उपलब्ध है; इसलिए चाहे कोई भी इस संदर्भित जानकारी की यदि पडताल करना चाहता हो, तो ये जानकारी उपलब्ध हैं !

१. Education in pre-british India – Indianscience.org इस संकेतस्थल की मार्गिका : goo.gl/gZT9gi

२. Adams report on Vernacular Education in Bengal and Bihar १८३५/३८ – Archive.Org या संकेतस्थळाची मार्गिका : goo.gl/gGkxiJ

३. धर्मपाल लिखित ‘The Beautiful Tree’ Archive.Org संकेतस्थल की मार्गिका : goo.gl/pC5fbu

ये सभी सर्वेक्षण ब्रिटीश अधिकारियोंद्वारा किए गए हैं; इसलिए इसमें भारतीयों के पक्ष में किसी भी पक्षपात होने की कोई संभावना नहीं है, साथ ही ये सभी सर्वेक्षण तत्कालीन पत्रव्यवहारोंसहित स्थूलरूप से (Physically) उपलब्ध होने के कारण उनको अस्वीकार नहीं किया जा सकता !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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