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हिन्दु जनजागृति समिति द्वारा पुणे महापालिका को चेतावनी
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‘अमोनियम बायकार्बोनेट’ के निधी का उपयोग शाडु की मुर्ति सिद्ध करनेवाले मूर्तिकारों को अनुदान के रूप में देने की मांग
पुणे : हिन्दु जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्यसंगठक श्री. सुनिल घनवट ने प्रसिद्धी हेतु प्रस्तुत किए गए पत्रक में यह चेतावनी दी है कि, ‘प्लास्टर ऑफ पॅरिस की श्री गणेशमुर्ति पानी में घुलने के लिए ‘अमोनियम बायकार्बोनेट’ का उपयोग करने का निर्णय लिया था; किंतु पुणे महानगरपालिका के इस धर्मविरोधी निर्णय को गत वर्ष विफल बनाया । अपितु इस वर्ष भी पालिका प्रशासन ने १०० टन ‘अमोनियम बायकार्बोनेट’ खरीदने का निर्णय लिया है। गत वर्ष अधिकांश मूर्तियां घुली ही नहीं हुई थी, तो कुछ मूर्तियों को घुलने होने के लिए अधिकांश दिन लगे थे । ‘अमोनियम बायकार्बोनेट’ के कारण अनेक लोगों के शरीर पर रॅशेस आई, तो कुछ लोगों ने वह पानी पेडों को डालने के कारण पेड मर गए थे । इतना होने के पश्चात् भी पालिका प्रशासन इस अमानवीय तथा जलप्रदूषण रोकने के नाम पर अन्य दुष्परिणाम करनेवाले अंधश्रद्धालु निर्णय पर दृढ है । यदि पालिका ने यह निर्णय निरस्त नहीं किया, तो हिन्दु जनजागृति समिति तीव्र आंदोलन का आयोजन करेगी ।’
प्रसिद्धीपत्रक में आगे यह प्रकाशित किया गया है कि,
१. पुणा के निवासियों द्वारा कर रूप में प्राप्त किए गए लक्षावधी रुपएं का इस प्रकार से व्यय करने का अधिकार पालिका प्रशासन को नहीं है । अतः पालिका अपना यह निर्णय निरस्त करें । यदि पालिका को जलप्रदूषण रोकने की इतनी ही इच्छा है, तो लक्षावधी रुपएं अमोनियम बायकार्बोनेट पर व्यय करने की अपेक्षा वह शाडु मिठ्ठी की मूर्ति बनाने के लिए अनुदान के रूप में मूर्तिकारों को दीजिए ।
२. उससे वास्तविक ‘इको फ्रेंडली’ तथा धर्मशास्त्र सुसंगत शाडु मिठ्ठी की प्राकृतिक रंग में बनार्इ गई श्री गणेशमूर्ति श्रद्धालुओं को उपलब्ध होगी । हिन्दुओं को धर्मपालन भी करना संभव होगा तथा ‘मूर्तिविसर्जन से जलप्रदूषण होता है,’ यह पालिका का निर्माण किया गया भय भी विफल बनेगा ।
३. यदि पालिका को जलप्रदूषण की इतनी ही चिंता है, तो वर्ष के ३६५ दिन पुणा के नदियों में विनाप्रक्रिया छोडा जानेवाला १६८ दशलक्ष लिटर अतिदूषित गंदा पानी, आस्थापन द्वारा छोडा जानेवाला रसायनमिश्रित पानी, निर्माणकार्य व्यावसायिकों द्वारा नदीपात्र में फेंका जानेवाला कुडा, इस प्रकार असंख्य कारणों से नदी का ९९ प्रतिशत से अधिक पानी प्रदूषित हो रहा है; किंतु पालिका प्रशासन जानबुझकर इन बातों की ओर अनदेखा कर रही है । क्या इसे पालिका प्रशासन का पुरोगामीपन कहेंगे या विवेकवाद ?
४. हिन्दु धर्मशास्त्र कहता है कि, १० दिन पूजा की गई श्री गणेशमूर्ति बहते पानी में विसर्जित करने से उसमें विद्यमान गणेशतत्त्व सर्वदूर फैलकर वातावरण की शुद्धि होती है; किंतु हिन्दुविरोधी होनेवाले तत्कालीन कांग्रेस राजनेताओं ने हिन्दुओं के धार्मिक बातों में बाधाएं निर्माण कर धर्मविरोधी निर्णय अपनाएं । अब हिन्दुत्वनिष्ठ भाजपा की ओर पालिका की सत्ता होते हुए भी इस प्रकार के धर्मविरोधी निर्णय अपनाएं जाना, वास्तव में यही है हिन्दुओं का दुर्दैव ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात