नई देहली : प्रदिध्द लेखिका तसलीमा नसरीन ने स्वयं को औरंगाबाद जाने से जबरन रोकने पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि, जब मेरे वहां जाने और होटल बुकिंग कराने की सूचना केवल पुलिस को थी तब फिर वह हुड़दंगियों तक कैसे पहुंची ? उन्होंने यह भी कहा कि, एलोरा और अजंता की गुफाएं देखना उनका सपना था, परंतु दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में यह संभव नहीं हो सका।
अपने आलोचकों को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि, क्या उनमें से कोई बता सकता है कि, मैंने मुहम्मद साहब के बारे में क्या लिखा है ? वे नहीं बता सकते, क्योंकि उन्होंने मेरी किताबें पढ़ी ही नहीं हैं। वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए मेरा उपयोग कर रहे हैं। ज्ञात हो कि, बीते सप्ताह तसलीमा के औरंगाबाद पहुंचते ही हवाई अड्डे पर एआइएमआइएम के लोगों ने उन्हें शहर में प्रवेश न देने पर अड़ गया था। इस समूह का नेतृत्व एआइएमआइएम विधायक इम्तियाज जलील ने किया था। शहर में कानून-व्यवस्था की समस्या न हो इसलिए पुलिस ने तसलीमा को हवाई अड्डे से बाहर नहीं जाने दिया जाए। इसके बाद उन्हें मुंबई लौटा दिया गया।
इस बीच औरंगाबाद के पुलिस अधिकारी यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि, बांग्लादेशी लेखिका का कार्यक्रम किस तरह लीक हुआ। डीसीपी (जोन-२) राहुल श्रीराम ने कहा कि, हमें आश्चर्य है कि, प्रदर्शनकारियों के पास यह सूचना कैसे पहुंची।
तसलीमा को औरंगाबाद न जाने देने को कई बुद्धिजीवियों के साथ एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी अनुचित करार दिया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की कार्यक्रम निदेशक अस्मिता बासु ने कहा कि राज्य पुलिस को कहीं आने-जाने की आजादी के अधिकार की रक्षा करना करनी चाहिए। कट्टरपंथी समूहों की पसंद और नापसंद के अनुसार किसी व्यक्ति का कहीं आना-जाना तय नहीं होना चाहिए।
संदर्भ : जागरण