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अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा, ‘फूंक मारकर मोमबत्तियाँ बुझाने से कीटाणुओं से भर जाता है केक’

हिन्दुआें पाश्चिमात्य संस्कृति का दुष्परिणाम ध्यान में लेकर हिन्दु संस्कृति के अनुसार जन्मदिन मनाए !

वॉशिंगटन : वैज्ञानिकों का दावा है कि, केक पर लगी मोमबत्तियों को फूंक मारकर बुझाने से केक बैक्टीरिया से भर जाता है। अमेरिका की क्लेमसन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा की जन्मदिन केक पर लगी मोमबत्तियाँ बुझाते समय केक पर थूक फैल जाता है जिसके कारण केक पर १४००% बैक्टीरिया बढ जाता है।

‘जर्नल ऑफ फूड रिसर्च’ में प्रकाशित इस स्टडी के शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘जन्मदिन मोमबत्तियाँ को फूंक मारकर बुझाने की परंपरा की शुरुआत के पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ मान्यताएं कहती हैं कि यह परंपरा प्राचीन ग्रीस में शुरू हुई जिसके तहत केक पर जली हुई मोमबत्ती लगाकर हंट की देवी आर्टिमिस के मंदिर ले जाया जाता था।’ तो वहीं कुछ दूसरी प्राचीन सभ्यताएं मानती हैं कि कैंडल बुझाने के बाद उससे निकलने वाला धुंआ आपकी मन्नत और प्रार्थनाओं को भगवान तक लेकर जाता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, इंसान के सांस में मौजूद बायोएरोसोल बैक्टीरिया का स्त्रोत है जो फूंक मारने पर केक की सतह पर फैल जाता है। इंसानों का मुहं बैक्टीरिया से भरा होता है। हालाकिं इनमें से ज्यादातर बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते हैं। परंतु अगर कोई बीमार व्यक्ति मोमबत्तियाँ को बुझा रहा है तो उस केक को खाने से से बचे।

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संदर्भ : नवभारत टाइम्स

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