हिन्दू जनजागृति समिति की राज्य चुनाव आयोग से मांग
पणजी : भारतीय चुनाव आयोग ने गोवा के पणजी एवं वाळपई चुनावक्षेत्रों के लिए २३ अगस्त को उपचुुनाव की घोषणा कर उसका समयपत्रक भी प्रकाशित किया है। इस वर्ष २५ अगस्त को श्री गणेशचतुर्थी होने के कारण यह उपचुनाव गणेशोत्सव में ही आ रहा है । गणेशोत्सव के २ दिन पहले ही यह उपचुनाव होने से हिन्दुओं में असंतोष उत्पन्न हुआ है । अतः हिन्दू जनजागृति समिति ने राज्य चुनाव आयोग से गणेशोत्सव के समय लिए जानेवाले इस उपचुनाव को रद्द कर उसे अन्य समय लेने की मांग की है । हिन्दू जनजागृति समिति के शिष्टमंडल ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी श्री. नारायण नावती को निवेदन सौंपकर यह मांग की है । हिन्दू जनजागृति समिति के इस शिष्टमंडल में गोमंतक मंदिर एवं धार्मिक संस्था महासंघ के अध्यक्ष श्री. चंद्रकांत (भाई) पंडीत तथा कोषाध्यक्ष श्री. उदय मुंज, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. जयेश थळी एवं चिंबल गांव के गणेशभक्त श्री. राज बोरकर का अंतर्भाव था ।
हिन्दू जनजागृति समिति ने इस निवेदन में कहा है कि,
१. गणेशोत्सव तो हिन्दुओं के लिए अत्यंत आस्था का उत्सव है । यह उत्सव विशेषरूप से गोवा में बडे उत्साह एवं आस्था के साथ मनाया जाता है । यहां के हिन्दू गणेशोत्सव के २ सप्ताह पहले से ही उसकी पूर्वसिद्धता करने में व्यस्त होते हैं ।
२. अपने चरितार्थ हेतु अन्यत्र बसें हिन्दू परिवार गणेशोत्सव के अवसरपर अपने मूल घर वापस लौटकर एकत्रितरूप से इस उत्सव को मनाते हैं । इस अवधि में साक्षात श्री गणेशजी का अपने घर में निवास होता है; इस भक्तिभाव के साथ सभी हिन्दू परिवार गणेशोत्सव के लिए उत्सुक रहते हैं ।
३. गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में श्री गणेशजी के स्वागत हेतु घर को रंगाना, सजाना, माटोली बांधना और श्री गणेशोत्सव के एक दिन पहले श्री गणेशमूर्ति की प्रतिष्ठापना की सिद्धता करने के कार्य में हिन्दू व्यस्त रहते हैं ।
४. गोवा में गत २५ जून २०१७ को पंचायत चुनाव घोषित किया था; परंतु इस अवधि में ईसाईयों का ‘सांजाव’ नामक त्यौहार होने के कारण इस चुनाव के दिनांक में परिवर्तन कर उसे १७ जून २०१७ को लिया गया था । इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल में मुसलमानों के रमजान के त्यौहार की अवधि में घोषित किए गए चुनाव के दिनांकोें में परिवर्तन किए जाने के भी उदाहरण हैं ।
५. अन्य पंथियों की भांति हिन्दुओं के गणेशोत्सव का भी विचार किया जाना अत्यावश्यक है । भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्ष होेने के कारण सभी धर्मियों के साथ समानतापूर्वक व्यवहार होना न्यायसंगत होगा । भारतीय चुनाव आयोग द्वारा समय-समयपर अन्य पंथियों की आस्था का संज्ञान लेकर अपने निर्णयों में परिवर्तन करने का जो लचिलापन दिखाया, उसी प्रकार से हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं के विषय में भी संज्ञान लिया जाना आवश्यक है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात