श्रीमद् श्रीउपेन्द्रमोहनजी का १४५ वां जन्म महोत्सव
कोलकाता : महाभारत में युद्ध के समय अर्जुन के सामने उसके सगेसंबंधी थे । उसने कहा कि, वह उनसे युद्ध नहीं करेगा । तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीताज्ञान देकर शास्त्र बताया । परिवार, अपना-पराया तथा भावना के आगे जाकर हमें केवल धर्म एवं अधर्म का ही विचार करना चाहिए । कौन धर्म एवं कौन अधर्म के पक्ष में है ? यह देखना चाहिए । वर्तमान परिस्थिति में धर्म-अधर्म की दृष्टि से ध्रुवीकरण की आवश्यकता है । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने आवाहन करते हुए कहा कि, आज हमें व्यक्ति, जाति, भाषा तथा प्रांत का विस्मरण कर धर्म के लिए संगठित होना चाहिए । वे शास्त्र धर्म प्रचार सभाद्वारा कोरे कोलकाता के चौरंगी के आश्रम में संपन्न श्रीमद् श्रीउपेन्द्रमोहनजी के १४५ वें जन्म महोत्सव में बोल रहे थे ।
२४ से ३१ जुलाई की कालावधि में यह महोत्सव मनाया गया । इस में प्रत्येक दिन विविध विषयों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था । इन कार्यक्रमों को प्रतिदिन अनुमाने २०० जिज्ञासू उपस्थित थे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात