कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया, कलियुग वर्ष ५११६
भारतमें केवल बांग्लादेशी, पाकिस्तानी अथवा नायजेरियन ही अवैधानिक रूपसे नहीं रहते, अपितु अफगानी, अमेरिकन, दक्षिण कोरियन, ब्रिटिश, वैâनेडियन, आस्ट्रेलियन, जर्मन जैसे देशके लोग भी यहां अवैधानिक रूपसे रहते हैं, यह उजागर हो गया है । भारतमें वर्ष २००६ में ४९ सहस्र ९४५, वर्ष २००७ में ५३ सहस्र ९४५, एवं वर्ष २००८ में ६५ सहस्र १४९ लोग अवैधानिक रूपसे निवास कर रहे थे । केंद्रीय गृहमंत्रालयद्वारा वैधानिक स्तरपर प्राप्त जानकारीमें यह उल्लेख किया गया है । अमेरिकामें बंदी बनाए गए डेविड हेडलीके काले कृत्य उजागर होनेपर विदेशी नागरिकोंकी ओर भारत शासनका ध्यान केंद्रित होने लगा है । ऐसा ध्यानमें आया है कि भारतमें लगभग ४५ देशके लोग अवैधानिक रूपसे रहते हैं । यद्यपि ऐसे लोगोंकी संख्या वैसी बहुत नहीं है, परंतु ऊधम मचानेके लिए कोई एक डेविड हेडली अथवा कसाब पर्याप्त होता है ! इसलिए देशमें अवैधानिक रूपसे रहनेवाले लोगोंद्वारा देशके सामने गंभीर संकट खडा रहनेकी संभावना है, यह ध्यानमें लेकर उसपर निश्चित रूपसे कार्यवाही करनी चाहिए ; ऐसी सर्वत्र देशप्रेमी जनताकी मांग है । भारतमें वर्ष २००८ में ९९८ अमेरिकन, ५६१ दक्षिण कोरियन, ४९१ ब्रिटिश, ३५७ कैनेडियन, १९१ फ्रेंच, १७६ आस्ट्रेलियन एवं १५८ जर्मन अवैधानिक रूपसे रहते थे । इसी कालावधिमें १ सहस्र २२९ बांग्लादेशी, १४ सहस्र अफगानी एवं ७ सहस्र पाकिस्तानी देशमें अवैधानिक रूपसे रहते थे ।
संदर्भ : साप्ताहिक विवेक ८ अगस्त २०१०
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात