ममता बनर्जी सरकार के तमाम दावों के बावजूद पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश को पशुओं खासकर गायों की बड़े पैमाने पर तस्करी का सिलसिला नहीं थम रहा है ! सरकारी एजंसियों और सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवानों की आंखों में धूल झोंकने के लिए तस्कर गिरोह नित नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। इस धंधे में भारी मुनाफे के कारण से अक्सर ऐसे गिरोहों को राजनीतिक संरक्षण मिलने के भी आरोप सामने आते रहते हैं। देश में पशुओं के निर्यात पर पाबंदी होने के बावजूद बांग्लादेश को पशुओं की अवैध तस्करी का कारोबार पांच हजार करोड से ऊपर का है !
उत्तर २४-परगना, मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों की सीमा से बांग्लादेश को होनेवाली पशुओं की तस्करी खुलेआम जारी है। राज्यसभा की गृह मामलों की एक स्थायी समिति ने केंद्र व राज्य सरकारों को इस पर अंकुश लगाने के उपाय सुझाए हैं। उक्त समिति में तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन भी थे। समिति की यह रिपोर्ट संसद के बजट अधिवेशन के दौरान पेश की गई थी। बांग्लादेश की २२१७ किलोमीटर लंबी सीमा बंगाल से लगी है। इसमें से लगभग ५०० किलोमीटर सीमा नदियों से जुड़ी है। भारत में जहां पशुओं का निर्यात अवैध है, वहीं बांग्लादेश में इस पर कोई पाबंदी नहीं है। वहां तस्करों को बस यह बताना होता है कि, ये पशु अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास भटक रहे थे।
यहां सीमा पर कस्टम विभाग की ओर से तस्करी के दौरान जब्त पशुओं की खरीद-बिक्री के मामले में भी एक दिलचस्प पेच है ! नियमों के अनुसार, इन पशुओं को नीलामी के जरिए बेचा जाता है। परंतु इनको वही तस्कर दोबारा खरीद लेते हैं। लिहाजा यहां जिस गाय की कीमत ५००० रुपए होती है, वह सीमा पार करते ही ५०००० तक की हो जाती है। बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि, सबसे बड़ी समस्या यह है कि देश में पशुओं को भारी तादाद में एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर कोई पाबंदी नहीं है !
इसी कारण से राजस्थान, हरियाणा, बिहार और पंजाब से ट्रकों में भर कर गाय बंगाल में पहुंचती हैं। बंगाल से गायों की तस्करी के इस धंधे के बारे में जानते तो सब हैं, परंतु किसी ने इसे रोकने में कोई ठोस पहल नहीं की ! अब पशु व्यापार के नियमन पर केंद्र के नए नियमों के पालन से राज्य सरकार के इनकार ने बीएसएफ के लिए असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। केंद्र के नए नियमों में हत्या के लिए पशुओं की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई है। इसका मकसद पशुओं की अवैध खरीद-फरोख्त और तस्करी पर अंकुश लगाना है। केंद्र की ओर से इस मामले में बीएसएफ को अब तक कोई दिशानिर्देश भी नहीं मिला है !
स्त्रोत : जनसत्ता