पश्चिमी डांस करने या सिखानेपर शरिया के अनुसार प्रतिबन्ध है !
तेहरान : ईरान में ६ बच्चों को डांस करने और सिखाने के ‘अपराध’ में बन्दी बनाया गया है। बन्दी बनाए गए बच्चों में ४ लड़के और २ लड़कियां शामिल हैं। इन सब को जुंबा सहित कई अन्य तरह के ‘पश्चिमी नृत्य’ सिखाने का दोषी पाया गया है। ईरान के एक रेवलूशनरी गार्ड्स कमांडर ने इस बात की जानकारी दी। मालूम हो कि कट्टरपंथी इस्लामिक कानूनों का पालन करनेवाले ईरान में नृत्य और संगीत जैसी चीजों पर बहुत हद तक प्रतिबन्ध है।
न्यूज वेबसाइट जमजम ऑनलाइन ने हामिद दमघानी नाम के इस कमांडर के हवाले से बताया, ‘डांस सिखाने और पश्चिमी नृत्यों की विडियो बनानेवाले एक समूह के सदस्यों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।’ दमघानी ने आगे कहा, ‘यह समूह लडके और लडकियों में दिलचस्पी पैदा कर उन्हें खुद के साथ जोड़ लेता था और उन्हें पश्चिमी नृत्य सिखाता था। उनके विडियो क्लिप्स को टेलिग्राम और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया ऐप्स पर भी शेयर किया जाता था !’
दमघानी ने बताया कि इन बच्चों को डांस करते और विडियो क्लिप्स बनाते हुए गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा, ‘रेवलूशनरी गार्ड्स के खुफिया विभाग ने इन सबको गिरफ्तार किया। यह संगठन बच्चों की जीवनशैली बदलने की कोशिश कर रहा है और हिजाब और पर्दा न करने को बढ़ावा दे रहा है !’
इन सभी बच्चों पर डांस करने का आरोप है। लड़कियों को डांस करने के अलावा सही तरीके से हिजाब न पहनने का भी दोषी बताया गया है। इस्लामिक कट्टरपंथी नियमों में महिलाओं को सिर ढकना होता है और उन्हें अपना पूरा शरीर भी ढककर रखना होता है। ईरान में महिलाओं के अपने परिवार के अलावा किसी भी बाहरी पुरुष के सामने डांस करने पर प्रतिबंध है। पिछले कुछ समय से इन नियमों को और सख्त कर दिया गया है। महिलाओं के जिम्स के अंदर भी जुंबा और बाकी सभी तरह की डांस शैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह अलग बात है कि इन नियमों का जमकर उल्लंघन भी होता है।
दमघानी ने कहा, ‘महिलाओं के जिम में खेल के नाम पर डांस सिखाना और इसे बढ़ावा देना गंभीर मसला है !’ २०१४ में २ युवतियों को डांस करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने एक अंग्रेजी गाने पर डांस करते हुए विडियो बनाया था और इसे इंटरनेट पर डाल दिया था। यह विडियो काफी वायरल हुआ। पहले उन्हें जेल की सजा हुई, लेकिन फिर इस सजा को रद्द कर उन्हें कोड़े मारने की सजा सुनाई गई।
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स