तिब्बती अध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन को आस पास ही रहना है और दोनों देशों के बीच डोकलाम पर गतिरोध ज्यादा गंभीर मुद्दा नहीं है। दलाई लामा ने कहा कि कई बार दोनों देश कड़े शब्दों का उपयोग करते हैं किंतु आगे बढने के लिए हिन्दी चीनी भाई भाई की भावना एकमात्र रास्ता है। धर्मगुरु ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह ज्यादा गंभीर मामला है। भारत और चीन को आस पास ही रहना है !’’ साथ ही उन्होंने कहा कि प्रचार चीजों को जटिल बना देता है !
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित राजेन्द्र माथुर मेमोरियल लेक्चर के दौरान दलाई लामा ने कहा, ‘‘१९६२ में चीनी सेना जो कि बोमडिला तक पहुंच गई थी को अंतत: वापस लौटना पड़ा। भारत और चीन को एक साथ रहना है !’’ जाहिर है कि भारत और चीन के बीच सिक्किम सेक्टर के डोकलाम पर गतिरोध उस वक्त शुरु हुआ जब चीनी सेना ने वहां सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया। दोनों देशों के बीच ५० दिनों से यह गतिरोध जारी है।
चीन का दावा है कि वह अपने क्षेत्र में सड़क निर्माण कर रहा है और उसने भारत से तत्काल अपनी सेना हटाने को कहा है। वहीं भूटान का कहना है कि डोकलाम उसकी सीमा में है। उधर चीन का दावा है कि यह क्षेत्र उसका है और इस मुद्दे पर भूटान का उसके साथ कोई विवाद नहीं है। एक दिन पहले चीनी विदेश मंत्रालय में सीमा और सागर मामलों की उप महा निदेशक वांग वेनली ने कहा कि एक दिन के लिए भी यदि सिर्फ एक भारतीय सैनिक भी रहता है तो भी यह हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है !
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत के साथ चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है, वांग ने कहा, ‘‘मैं सिर्फ इतना कह सकती हूं कि पीएलए और चीन सरकार के लिए, हमारे पास प्रतिबद्धता है। इसलिए, यदि भारत गलत रास्ते पर जाने का फैसला करता है या इस घटना के बारे में कोई भ्रम रखता है तो हमारे अधिकारों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक हमारे पास कोई भी कार्रवाई करने का अधिकार है !
वांग एक भारतीय मीडिया प्रतिनिधिमंडल को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि इस वक्त भारत के साथ वार्ता करना असंभव होगा। हमारे लोग सोचेंगे कि हमारी सरकार अक्षम है। जब तक कि भारत चीनी सरजमीं से सैनिकों को वापस नहीं बुला लेता है हमारे बीच कोई ठोस वार्ता नहीं हो सकती। उन्होंने भारत को छेड़ते हुए कश्मीर का मुद्दा उठाया और भारत और नेपाल के बीच के कालापानी विवाद का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि भारत के लिए ट्राई जंक्शन का इस्तेमाल करना कोई बहाना नहीं हो सकता। उन्होंने भारत के विदेश मंत्रालय के इस बयान का जिक्र किया जिसके तहत भारत ने कहा कि देश के मुख्य हिस्से को पूर्वोत्तर से जोड़ने वाले संकरे इलाके में चीन, भारत और भूटान ट्राई – जंक्शन में सड़क का निर्माण यथास्थिति को बदल रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत के भी कई ट्राई जंक्शन हैं। क्या होगा जब हम यही बहाना बनाएंगे और चीन, भारत और नेपाल के बीच कालापानी क्षेत्र में घुस जाएंगे या भारत और पाकिस्तान के बीच के कश्मीर क्षेत्र में घुस जाएंगे। वांग ने कहा कि ट्राई जंक्शन का इस्तेमाल और अधिक संकट पैदा करेगा।
स्त्रोत : जनसत्ता