पुणे के विशेषतापूर्ण गणेशोत्सव की शान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने हेतु सिद्ध किए गए बोधचिन्ह से श्री गणेशजी का विकृत रूप दर्शाने के स्थान पर मूर्तिशास्त्र के अनुसार उचित रूप में गणेशमूर्ति को लिया होता, तो वास्तव में प्रसिद्धि हुई होती ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
पुणे : यहां के गणेशोत्सव में इस वर्ष के शतकोत्तर रौप्यमहोत्सवी वर्ष के उपलक्ष्य में पुणे महानगरपालिका की ओर से आयोजित विविध कार्यक्रम, बोधचिन्ह, ध्वज, संकल्पना गीत (थीम साँग), भ्रमणभाष एप शुभंकर का १२ अगस्त को शनिवारवाडे के मैदान में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों उद्घाटन किया । बोधचिन्ह में (लोगो) श्री गणेशजी की सूंड एवं कान इतना ही छायचित्र लिया है, जबकि शुभंकर भ्रमणभाष एप के लिए सिद्ध छायाचित्र में कार्टून के वेश में श्री गणेशजी का छायाचित्र है । (देवता का छायाचित्र मूल स्वरूप में रेखांकित किया, तभी उससे श्री गणेशतत्त्व का आध्यत्मिक स्तर पर लाभ होता है । श्री गणेश अपनी कला प्रस्तुत करने का माध्यम नहीं है । यदि विडंबनात्मक छायाचित्रों के स्थान पर महानगरपालिका ने सात्त्विक छायाचित्र उपयोग में लाया होता, तो श्री गणेशजी की कृपा हो जाती थी । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात