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राष्ट्राभिमानी सुजाता पाटिलपर कार्यवाही की गई, तो हिंदूनिष्ठोंद्वारा आंदोलन करनेकी चेतावनी

पौष शुक्ल ११, कलियुग वर्ष ५११४

हिंदू जनजागृति समितिद्वारा प्रशासन एवं पुलिसको निवेदन


कोल्हापुर (महाराष्ट्र ) २० जनवरी (संवाददाता ) – मुंबई पुलिसके`संवाद’ नियतकालिकमें राष्ट्राभिमानी पुलिस निरीक्षक सुजाता पाटिलने मुंबईमें ११ अगस्त २०१२ को हुए दंगोंके विषयमें एक कविता लिखी है । जानकारी मिली है कि इस कवितापर कुछ धर्मांध मुसलमानोंद्वारा आपत्ति उठानेके कारण सुजाता पाटिलपर कार्यवाही करनेकी गतिविधियां चल रही हैं । इसलिए हिंदूनिष्ठोंने शनिवारको जनपदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षकको एक निवेदन देकर चेतावनी दी है कि यदि सुजाता पाटिलपर कोई कार्यवाही की गई, तो आंदोलन किया जाएगा ।

हिंदू जनजागृति समितिके नेतृत्वमें जनपदाधिकारी कार्यालयके तहसीलदार (राजस्व) श्रीमती वर्षा शिंगण-पाटिल एवं पुलिस उप अधीक्षक (मुख्यालय) श्री शाम तरवाडकरको हिंदुनिष्ठोंने शनिवारको इस मांगके लिए निवेदन दिया । शिवसेनाके करवीर तहसीलप्रमुख सर्वश्री राहू यादव, बजरंग दलके जनपदाध्यक्ष संभाजी साळुंखे, बाळासाहेब सूर्यवंशी, शिवसेना, उपजनपदप्रमुख संभाजी भोकरे, शिवसेनाके उदय भोसले, हिंदू जनजागृति समितिके शिवानंद स्वामी, सुधाकर सुतार, सनातन संस्थाके सागर शेटे इत्यादि धर्माभिमानी उपस्थित थे ।

इस निवेदनमें कहा गया है कि …

१. इस कविताके विषयमें सुजाता पाटिलको किसीको कोई स्पष्टीकरण देनेकी आवश्यकता नहीं है । इसके विपरीत कवितापर आपत्ति उठानेवाले दंगाईयोंका पक्ष लेनेवाले व्यक्तियोंपर ही कार्यवाही होनी चाहिए ।

२. सुजाता पाटिलकी कवितामें दंगाइयोंको ‘देशद्रोही’ एवं `साप’ कहा गया है, जो उचित है । उनकी कवितामें कहीं भी धर्मका उल्लेख नहीं किया गया है । अतः किसीको आपत्ति उठानेका कोई कारण नहीं है ।

३. मुंबईके दंगाइयों एवं उनके नेताओंपर अबतक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है । इस बातसे उद्विग्न होकर स्रीसुलभ भावनाओंको व्यक्त करने हेतु कविता लिखी गई है; परंतु पाटिलके विरोधमें अपराध प्रविष्ट करने हेतु दबावतंत्रका उपयोग करना लेखन स्वतंत्रतापर आघात है । पाटिलपर दबावतंत्रका उपयोग करनेसे धर्मांधोंको प्रोत्साहन ही मिलेगा ।

४. इन सब घटनाओंसे पुलिस निराश हो रही है । पुलिसका दंगोंके समय धर्मांध दंगाइयोंको नियंत्रित न करना,  समय आनेपर उनसे मार खाना, उनकेद्वारा किया गया विनयभंग सहना एवं उनके विरोधमें कुछ भी न कहना पुलिसका दमन ही है ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात 

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