ओडिशा में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का मार्गदर्शन
राऊरकेला (ओडिशा) : सुंदरगड जिले के हाथीवाडी में आयोजित किए गए एक प्रवचन में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी मार्गदर्शन कर रहे थे। अपने मार्गदर्शन में उन्होंने कहा कि, ‘स्वार्थी राजनेता तथा उनकेद्वारा अपनाई गई मतपेढी’ की राजनीति के कारण भारत का सर्वनाश हुआ है। अतएव हमें धर्मजागृति कर हिन्दू राष्ट्र की ओर मार्गक्रमण करना अनिवार्य हो गया है !’
१. गत ७० वर्षों में हिन्दू धर्म को अनेक आपत्तियों का सामना करना पडा। हर गांव में सडकें, शिक्षण, आरोग्य इन मूलभुत सुविधाओं की न्यूनता थी। अतः ईसाई मिशनरियों ने उन्हें विदेश से प्राप्त करोडो रुपएं के आधार पर इन मूलभुत आवश्यकताओं के माध्यम से ग्रामीण तथा आदिवासी लोगों को फंसाकर बड़ी मात्रा में धर्मपरिवर्तन किया !
२. देश के पूर्वोत्तर राज्यों में अंग्रेजों के समय जहां एक भी ईसाई नहीं था, वहां आज ९० प्रतिशत से अधिक संख्या में ईसाई हैं। आज ईसाई उनकी पाठशाला में उनके धर्म का शिक्षण दे सकते हैं। मदरसों में इस्लाम का शिक्षण दिया जाता है; किंतु जहां लगभग सभी हिन्दू हैं, वहां हिन्दू धर्म का शिक्षण देने के लिए प्रतिबंध लगाया जाता है !
३. चर्च, मस्जिदों पर आज किसी भी प्रकार का लगान नहीं हैं। हिन्दू मंदिरं, यात्राओं पर लगान (टॅक्स) हैं। पुरी, बालाजी, शिर्डी, पद्मनाभ के समान अनेक मंदिरो का धन शासन बलपूर्वक अधिकार में ले रहा है; किंतु इस धन से धर्मशिक्षण का प्रबंध नहीं किया जाता !
४. यदि हमें हमारा परिवार को बचाना है, अपने गांव का, धर्म का तथा राष्ट्र की रक्षा करनी है, तो हमें धर्मशिक्षण प्राप्त कर साधना करना अनिवार्य है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात