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हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मंगलुरू (कर्नाटक) में २ दिवसीय हिन्दूसंगठक कार्यशाला का आयोजन

हिंदूसंघटक कार्यशाला मे व्यासपिठापर उपस्थित बाएं कोैर से श्री. गुरुप्रसाद (मार्गदर्शन करते हुए), सद्गुरु सत्यवान कदम, श्री. काशीनाथ प्रभु आणि श्री. रमानंद गौडा

मंगळुरू (कर्नाटक) : हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ९ एवं १० अगस्त को सनातन के सेवाकेंद्र में धर्मप्रेमियों के लिए २ दिवसीय हिन्दूसंगठक कार्यशाला का आयोजन किया गया था । इस कार्यशाला में दक्षिण कन्नड जनपद के मंगलुरू, पुत्तुर, सुळ्या एवं उजिरे तहसील के २३ धर्मप्रेमी सम्मिलित हुए । इस कार्यशाला में सनातन के सद्गुरु सत्यवान कदमजी की वंदनीय उपस्थिति थी । इस कार्यशाला में सनातन के कर्नाटक राज्य धर्मप्रसारक श्री. रमानंद गौडा एवं श्री. काशिनाथ प्रभु, साथ ही हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य समन्वयक श्री. गुरुप्रसाद एवं श्री. मोहन गौडा ने धर्मप्रेमियों को संबोधित किया ।

इस कार्यशाला में साधना का महत्त्व, हिन्दू राष्ट्र की मूल संकल्पना, संगठन करते समय स्वयं में व्याप्त स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन का महत्त्व, आध्यात्मिक उपायों का महत्त्व, कुशलता विकास कैसे करें ? तथा धर्मप्रसार करने हेतु व्यक्तिगत संपर्क कैसे करें ? जैसे विविध विषयोंपर धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन किया गया ।

धर्मप्रेमियों का मनोगत

१. श्री. जयराज सालियान, उजिरे : स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन करना तो केवल हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु ही नहीं, अपितु अपने नित्य जीवन में भी आनंद प्राप्त करने हेतु आवश्यक है । बडे-बडे विश्‍वविद्यालयों में भी इस प्रकार की शिक्षा नहीं दी जाती । इस प्रकार की शिक्षा हमें इस २ दिवसीय कार्यशाला में प्राप्त हुई ।

२. श्री. दिनेश एम्.पी., मंगलुरू : दोष एवं अहं के कारण विगत १८ वर्षों में मेरे व्यावहारिक एवं पारिवारिक जीवन की बडी हानि हुई है । अबतक मुझ में मनुष्यता नहीं थी, ऐसा अब मुझे लग रहा है । आज से मैं जीवन में प्रामाणिकता के साथ लक्ष्य रखकर प्रयास करनेवाला हूं ।

३. अधिवक्ता उदयकुमार बी. के. : साधकों में व्याप्त प्रेमभाव, विनम्रता, आत्मियता, साधक एवं धर्मप्रेमियों में निहित परिवार की भावना को देखकर मुझे भी वैसा ही बनना चाहिए, ऐसा लग रहा है ।

४. श्री. मंजुनाथ गौडा : मंगलुरू सेवाकेंद्र का व्यवस्थापन, यहां की स्वच्छता और साधकों में व्याप्त प्रेमभाव मैने अबतक कहींपर भी नहीं देखा था । इस की शिक्षा देनेवाली सनातन संस्था ही एकमात्र संस्था है ।

क्षणचित्र

१. धर्मप्रेमियों ने स्वभावदोष एवं अहंनिर्मूलन के संदर्भ में जिज्ञासा के साथ जानकर लिया ।

२. सभी ने इस कार्यशाला से प्रेरणा लेकर तथा लक्ष्य रखकर १५ नए धर्मशिक्षावर्ग, १५ स्थानोंपर धर्मजागृति सभाएं और २ नए स्थानोंपर राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलनों का आयोजन करने का निश्‍चय किया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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