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प्लास्टर ऑफ पॅरिस की मूर्ति जैसे कागज के लुगदे की गणेशमूर्तियों पर भी गोवा शासन प्रतिबंध लगाए !

पणजी में आयोजित पत्रकार परिषद में हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा मांग

पत्रकार परिषद में बाईं ओर से श्रीमती शुभा सावंत, संबोधित करते हुए डॉ. मनोज सोलंकी एवं श्री. सत्यविजय नाईक

पणजी : वर्ष २०११ में महाराष्ट्र शासन ने कागज के लुगदे की मूर्तियों को प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया। इसके विरोध में हिन्दू जनजागृति समिति ने राष्ट्रीय हरित लवाद में (National Green Tribunal) याचिका प्रविष्ट की। राष्ट्रीय हरित लवाद ने विविध संशोधन संस्था एवं पर्यावरणतज्ञों ने किए शोध के आधार पर कागज के लुगदे की मूर्ति के कारण बडी मात्रा में प्रदूषण होने की बात स्वीकार की। ३० सितंबर २०१६ को महाराष्ट्र शासन के कागज के लगदे की मूर्तियों को प्रोत्साहन देने के निर्णय पर रोक लगाई।

गोवा शासन पर्यावरण की हानि रोकने के लिए सदैव प्रयासरत है। कुछ वर्ष पूर्व गोवा शासन ने प्लास्टर ऑफ पॅरिस की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा कर यह सिद्ध भी किया है। इसी प्रकार हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य समन्वयक डॉ. मनोज सोलंकी ने गोवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से प्रदूषणकारी कागज के लुगदी की मूर्तियों पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की है। गोवा में आयोजित एक पत्रकार परिषद में डॉ. मनोज सोलंकी ने यह जानकारी दी।

पत्रकार परिषद में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सत्यविजय नाईक एवं सनातन संस्था की श्रीमती शुभा सावंत उपस्थित थे।

कागज के लुगदे की मूर्ति विसर्जन करने से होनेवाली पर्यावरण की हानि के संदर्भ में सामने आये संशोधन के प्रमुख सूत्र !

१. दस किलो कागज के लुगदे की मूर्ति से १ सहस्र लिटर पाणी प्रदूषित होता है !

२. इस पानी में झिंक, क्रोमियम, कॅडमियम, टायटॅनिअम ऑक्साईड जैसे अनेक विषारी धातू पाए गए !

३. एन्व्हायरनमेंटल प्रोटेक्शन रिसर्च फाऊंडेशन के शोधनानुसार कागज घुले हुए डिस्टिल्ड वॉटर में ऑक्सिजन की मात्रा शून्य पर आयी ! न्यायालय ने माना कि यह जल सृष्टि के लिए अत्यंत घातक है !

४. न्यायालय ने यह भी स्वीकार किया कि कागज का लुगदा पानी में घुलने पर उसके सूक्ष्म-सूक्ष्म कण होकर वे मछलियों के गले में / कल्ले में फंसने की संभावना है एवं श्वसनप्रक्रिया में बाधा आ कर वे मृत भी हो सकती है !

पत्रकार परिषद में कुल १५ पत्रकार उपस्थित थे।

गोमंतकीय हिन्दुओं को मतदान के अधिकार से वंचित न रखें

आगामी २३ अगस्त को गोवा में उपचुनाव हैं। २५ अगस्त से गणेशोत्सव आरंभ हो रहा है। इसलिए गोवा के अधिकांश हिन्दू मतदान के अधिकार से वंचित होने की संभावना है। अतः समिति ने चुनाव आयोग से चुनाव आगे लेने की विनती की थी। इस पर आयोग ने समाधानकारक उत्तर नहीं दिया। यह निर्णय लेते समय प्रत्यक्ष उत्सव की कोई जानकारी नहीं ली गई। जैसे गणेशोत्सव की सिद्धता न्यूनतम १-२ सप्ताह पूर्व से आरंभ होती है। गोवा में अनेक गोमंतकीय अपने उत्सव के लिए मूल गांव जाते हैं। मतदान के मूलभूत अधिकार से नागरिक वंचित न रहे इस पर चुनाव आयोग ने उचित रूप से ध्यान नहीं दिया। वर्ष २०१४ के चुनाव के समय ईसाई समाज का उत्सवदिवस न होते हुए भी उस समय चुनाव के दिनांक में परिवर्तन किया गया था।

चुनाव दिनांक आगे रख कर लोकप्रतिनिधि चुनने की आदर्श प्रक्रिया में अपने निर्णय के कारण कोई बाधा न आए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने चुनाव आयोग से की है !

क्षणिका

पत्रकार परिषद में प्रस्तुत विषय विश्‍व हिन्दू परिषदने क्यों नहीं हाथ में लिए ? एक पत्रकारद्वारा ऐसा प्रश्‍न उपस्थित करने पर डॉ. मनोज सोलंकी ने कहा कि यह प्रश्‍न उनसे ही पूछना उचित होगा। उसीप्रकार एक पत्रकार के ‘इन विषयों के अनुसार क्या समिति ने विश्व हिन्दू परिषद एवं भाजपा से संपर्क किया है’ ? ऐसा पूछने पर अपने उत्तर में डॉ. मनोज सोलंकी ने कहा कि, ‘समिति ने विविध माध्यमोंद्वारा विविध संघटनों तक यह विषय पहुंचाया है एवं उनसे इस उपक्रम को समर्थन भी मिल रहा है !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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