पौष शुक्ल ११, कलियुग वर्ष ५११४
हिंदू जनजागृति समितिद्वारा ‘नपुंसक सरकार (शासन) एवं सैनिकोंका बलिदान’ इस विषयपर आयोजित परिसंवाद
पुणे (महाराष्ट्र)
२१ जनवरी, (संवाददाता) -हिंदू जनजागृति समितिद्वारा यहांके ‘उद्यानप्रसाद’ कार्यालयमें ‘नपुंसक सरकार (शासन) एवं सैनिकोंका बलिदान’ विषयपर परिसंवाद आयोजित किया गया था । इस परिसंवादमें बोलते हुए निवृत्त ब्रिगेडियर हेमंत महाजनने प्रतिपादित किया कि गत २० वर्षोंसे पाकिस्तानके साथ विचार-विमर्श, क्रिकेट प्रतियोगिताएं तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमोंके माध्यमसे भारतने शांति प्रस्थापित करने हेतु प्रयास किए; परंतु उसे सफलता नहीं मिली । पाकिस्तानको झुकानेके अनेक विकल्प उपलब्ध हैं । फिर भी इच्छाशक्तिके अभाव के कारण वे कार्यान्वित नहीं किए जाते । ‘विश्वासघात’ ही पाकिस्तानकी परंपरा है । पाकिस्तानद्वारा भारतमें आतंकवादी कार्यवाहियां की जा रही हैं । ऐसी स्थितिमें भी भारतीय राजनेता एक-दूसरेसे लडनेमें व्यस्त हैं । जनताको असुरक्षित रखनेवाले राजनेता राज्य करने योग्य (पात्र) नहीं है । इस अवसरपर पुणे विद्यापीठके सुरक्षा विभागके परामर्शदाता सेवानिवृत्त कर्नल अरविंद प्रभुदेसाई तथा हिंदू जनजागृति समितिके महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवट उपस्थित थे । इस परिसंवादमें ३५० से अधिक राष्ट्रप्रेमी नागरिक उपस्थित थे । कार्यक्रमका सूत्रसंचालन श्रीमती मानसी श्री श्रीमाळने किया । परिसंवादका समापन श्रीमती लीला घोळेद्वारा संपूर्ण ‘वन्दे मातरम्’ गीत गाकर किया गया ।सरकार नपुंसक ही नहीं, अपितु ‘कोमा’ में ! – सेवानिवृत्त कर्नल अरविंद प्रभुदेसाई
पाकिस्तानके विषयमें सरकार १९४७ से अपनी नपुंसकता दिखा रही है । सैनिकोंके बलिदानकी घटनाओंको सुनकर भी अपना रक्त ठंडा ही क्यों रहता है ? भारत बलशाली है । तत्पश्चात भी अन्य देशोंसे आंतराष्ट्रीय दबाव डालनेकी याचना करनेकी भारतको क्या आवश्यकता है ? भारतद्वारा अपना राष्ट्रीय उद्दिष्ट निर्धारित न करनेका यह परिणाम है । यह संवेदनाशून्य सरकार केवल नपुंसक ही नहीं, अपितु ‘कोमा’ में है । संत तुकाराम महाराजने ‘अडियलके माथे मारो लाठी’, ऐसी सीख दी है । वर्तमानमें वैसा आचरण करना आवश्यक है ।
परिसंवादका अवलोकन करते समय श्री. सुनील घनवटने कहा …
१. पाकिस्तान भारतपर इतने आक्रमण कर रहा है । फिर भी उसे अभी भी ‘मित्र राष्ट्र’की श्रेणी क्यों दे रखी है ?
२. व्यक्तिगत राजनीतिको अलग कर सैनिक एवं राष्ट्रके लिए एकत्रित आएं !
३. ‘क्या मैं कोई भव्य दिव्य कार्य कर सकूंगा ? क्या मेरे लिए यह संभव होगा ?’ ऐसा विचार न कर अपनी शक्तिके अनुसार कार्य करना आरंभ करें ।
४. हिंदू राष्ट्र ही हिंदुओंकी समस्याका समाधान है । इसलिए प्रत्येकको राष्ट्र एवं धर्मके लिए प्रतिदिन न्यूनतम एक घंटेका समय देना चाहिए ।
क्षणिकाएं
१. निवृत्त कर्नल अरविंद प्रभुदेसाईने भाषणके अंतमें तीन बार ‘हिंदुस्थानकी जय’ ऐसी घोषणा की ।
२. कार्यक्रमस्थलपर अकबरुद्दीन ओवैसीके ‘एम.आय.एम.’ इस धर्मांध पक्षपर प्रतिबंध लगाने हेतु समितिके जालस्थलके ‘ऑनलाईन’ अभियानका कक्ष था । वहां तत्परतासे भेंट देकर अनेकोंने सहभाग लिया ।
३. युवकोंने उत्साहित होकर प्रश्न किए एवं अपनी शंकाओंका समाधान किया ।
४. हुतात्मा भारतीय सैनिकोंको हिंदु धर्मके अनुसार दो मिनट ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप करते हुए श्रद्धांजली अर्पित की गई ।
५. हिंदू जनजागृति समिति निर्मित क्रांतिकारियोंकी सचित्र जानकारीकी प्रदर्शनी एवं ‘फॅक्ट’ निर्मित ‘आतंकवादका भीषण सत्य’ यह प्रदर्शनी कार्यक्रमस्थलपर लगाई गई थी । इन प्रदर्शनियोंको उत्साहपूर्ण प्रतिसाद मिला ।
६. अनेक राष्ट्रप्रेमी नागरिकोंने धर्मशिक्षावर्गमें आनेकी उत्सुकता दिखाई ।
७. श्री. बाजीराव बामणेने अल्प मूल्यमें उद्यानप्रासाद कार्यालय उपलब्ध करवाया ।
पाकिस्तानियोंको खदेडनेवाले देशप्रेमी शिवसैनिकोंका सत्कार !
इस अवसरपर ‘अंतर्राष्ट्रीय महापौर कुश्ती चषक प्रतियोगिता’ में पाकिस्तानके खिलाडियोंको विरोध करनेवाले, कुश्तीके प्रतियोगिताके स्थानपर लगाया गया पाकिस्तानका ध्वज नीचे उतारनेवाले तथा ‘टाइम्स पुणे फेस्टिवल’ अंतर्गत शनिवारवाडामें आयोजित पाकिस्तानी कलाकारोंका कार्यक्रम बिखेरनेवाले तीव्र राष्ट्राभिमानी शिवसैनिक पुणे महापालिकामें शिवसेनाके गुटनेता श्री. अशोक हरणावळ एवं युवासेनाके श्री. किरण साळीका सत्कार किया गया ।
कार्यकी अगली दिशाकी सिद्धताके लिए बैठकका आयोजन
जो राष्ट्र एवं धर्मके संदर्भमें कार्य करनेके इच्छुक हैं, उनके लिए सदाशिव पेठके रहाळकर राम मंदिरमें गुरुवार, २४ जनवरीको सायंकाल ७ बजे बैठकका आयोजन किया गया है ।
परिसंवादमें पारित किए गए प्रस्ताव
१. पाकिस्तानको दिया गया विशेष मित्रराष्ट्रका दरजा निरस्त कर उसे शत्रुराष्ट्र घोषित करें ।
२. पाकिस्तानके साथ स्थापित राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, क्रिडाविषयक एवं तत्सम स्वरूपके सभी स्तरके संबंधोंको तत्काल रोका जाए ।
३. भारतीय सीमारेखापर स्थित सैन्यको विशेष अधिकार प्रदान कर उनमें हत्तक्षेप न किया जाए ।
४. कश्मीरके संदर्भमें ‘धारा ३७०’ तत्काल निरस्त करें ।
५. वर्ष १९७१ के युद्धमें पाकिस्तानके नियंत्रणमें गए सभी युद्धबंदियोंको मुक्त करवाएं ।
६. देशकी सुरक्षाके विषयमें कोई समझौता न करनेवाले निर्णय लेकर सैन्यका मनोधैर्य बढाएं । ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ के निनादमें उपरोक्त प्रमुख प्रस्तावोंके साथ अन्य प्रस्ताव पारित किए गए ।
क्षणिका
दो पुलिस (आरक्षक) सादे वेशमें कार्यक्रमस्थलपर उपस्थित थे । ( राष्ट्राभिमानियोंके कार्यक्रमपर बारीकीसे ध्यान रखनेवाली पुलिस क्या कभी धर्मांधोंके कार्यक्रममें जानेका साहस करती है ? – संपादक )
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात