कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६
काबुल – अफगानिस्तान के एक धार्मिक नेता को ११ वर्षीय लड़की के साथ रेप करने के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, पारिवारिक दबाव के बावजूद बच्ची ने कोर्ट में आरोपी की पहचान की, जिससे उसके खिलाफ दोष साबित हुआ।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से पीड़ित बच्ची को वुमन शेल्टर में रखा गया था। बच्ची के परिजन उसे जान से मारने की धमकी दे रहे थे।
शनिवार को काबुल की कोर्ट में धार्मिक नेता को 20 साल कैद की सजा सुनाई गई। गौरतलब है कि कुछ हफ्ते पहले ही चार महिलाओं से गैंगरेप के मामले में पांच लोगों को फांसी दी गई थी।
कुंदूज प्रांत की गैर सरकारी संस्था ‘वुमन फॉर अफगान वुमन’ की प्रमुख हसीना सरवारी ने बताया कि मई में मोहम्मद अमीनुल्लाह बरेज नाम के मौलवी ने इस बच्ची का रेप किया था। शुरुआत में बच्ची ने छुपाने की कोशिश की, लेकिन बाद में खराब तबियत के कारण उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा, जहां उससे रेप की पुष्टि हुई। बाद में पुलिस ने मौलवी को गिरफ्तार कर लिया था।
सरवारी ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, “हम कोर्ट के फैसले से खुश हैं, लेकिन हम चाहते थे कि मौलवी को सजा-ए-मौत दी जाए। रेप के बाद बच्ची के परिजनों ने उसे मारने की कोशिश भी की। यह शर्मनाक है। हालात इतने खराब हैं कि अस्पताल में नर्स भी बच्ची का इलाज करने के लिए तैयार नहीं थीं।”
बाद में बच्ची को काबुल लाया गया और उसका इलाज किया गया। सुरक्षा कारणों से उसे वुमन शेल्टर में रखा गया था।
‘वुमन फॉर अफगान वुमन’ की एक अन्य कार्यकर्ता बेनफाशा एतफ अमीरी ने बताया कि मौलवी, बच्ची के साथ सेक्स की बात कबूल कर चुका था और उसके अनुसार यह सहमति से हुआ था। उसने कोर्ट में कहा था कि उसे सौ कोड़ों की सजा दी जाए। हालांकि जज सुलेमान रसूली ने इस बहस को खारिज कर दिया क्योंकि इसके तहत बच्ची को भी वयस्क मानते हुए सौ कोड़े मारे जाएंगे। ऐसे में बच्ची को रेप पीड़ित नहीं माना जाता।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर