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अपराधियों को दंड प्राप्त होने के पश्चात् ही राष्ट्ररक्षा करना संभव ! – श्री. प्रकाश आर्य, मध्यभारत प्रतिनिधी सभा

इंदौर (मध्यप्रदेश) में ‘राष्ट्ररक्षा हेतु हिन्दुओं की भूमिका’ इस विषय पर चर्चासत्र का आयोजन

कार्यक्रम में उपस्थित मान्यवर तथा उपस्थितों को संबोधित करते हुए श्री. आनंद जाखोटिया

इंदौर (मध्यप्रदेश) – आर्य समाज महर्षि दयानंद गंज में एक चर्चासत्र का आयोजन किया गया था । उस समय मध्यभारत प्रतिनिधी सभा के महामंत्री श्री. प्रकाश आर्य मार्गदर्शन कर रहे थे । अपने मार्गदर्शन में उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि, ‘धर्मनिरपेक्षता यह देश को लगा सबसे बडा धब्बा है । जहां धर्म का अस्तिव नहीं है, वहां क्या मानवता हो सकती है ? हमारे धर्म ने शास्त्र के साथ अस्त्र-शस्त्रों का भी स्वीकार किया है । जब तक शासन अपराधियों को कडा दंड नहीं करेगा, तब तक राष्ट्र की रक्षा करना संभव नहीं है ।’ इस समय अन्य मान्यवरों ने भी मार्गदर्शन किया ।

ईश्वर के नियम को समझने के पश्चात् ही राष्ट्ररक्षा करना सहज होगा ! – आंतरराष्ट्रीय वैदिक विद्वान आचार्य प्रभामित्र

वास्तविक ईश्वरभक्त ही राष्ट्रभक्त हो सकता है । जो तपस्वी है, वही त्यागी, सदाचारी तथा ध्येयनिष्ठ हो सकता है । अतः ईश्वर के नियम को समझने के पश्चात् ही राष्ट्ररक्षा करना सहज है । तपस्या के साथ-साथ हमें वीर भी बनना चाहिए; क्योंकि जो वीर है, वही पृथ्वी पर राज्य कर सकता है ।

राष्ट्र एवं धर्म के लिए समर्पण करनेवालों का ही आदर किया जाता है ! – विकास दवे, संपादक, देवपुत्र

प्रतिष्ठा के पीछे लगनेवाले युवक यह बात ध्यान में रखें कि, जो राष्ट्र एवं धर्म हेतु समर्पित होते हैं, उनका ही समाज एवं राष्ट्र आदर करता है । साथ ही इस बात की ओर भी ध्यान देना चाहिए कि, अधिवक्ता, प्रशासकीय अधिकारी, तो अनेक होते हैं, किंतु स्वतंत्रतावीर सावरकर, महर्षि अरविंद के समान राष्ट्र एवं धर्म हेतु समर्पित वीरों की ही प्रतिमा प्रत्येक घर में मुद्रित की जाती है ।’

हिन्दु राष्ट्र हेतु सिद्ध रहना चाहिए ! – श्री. आनंद जाखोटिया

अवैदिक, सदोष तथा शोषण करनेवाली व्यवस्था में अपनी संस्कृति नुसार परिवर्तन लाने के पश्चात् ही राष्ट्ररक्षा का विचार करना संभव होगा । इस स्थिती में परिवर्तन लाने हेतु हमें सनातन धर्मराज्य की स्थापना, अर्थात् हिन्दु राष्ट्र हेतु सिद्ध रहना चाहिए । उससे केवल भारत की का ही नहीं, तो विश्व की भी रक्षा होकर वह सुसंस्कृत होगा ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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