यंगून : राखिन में शुक्रवार तडके २४ पुलिस पोस्ट और आर्मी बेस पर रोहिंग्या उग्रावादियों के हमले में १२ सुरक्षाकर्मियों समेत के ८९ लोगों की मृत्यु हो गई। म्यांमार की सेना ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि, अभी भी कुछ क्षेत्रों में लडाई जारी है। धार्मिक घृणा के चलते बंटे तटीय देश में पिछले वर्ष अक्टूबर से चल रही हिंसा में यह सबसे भीषण हमला बताया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान के नेतृत्व वाले एक आयोग की रिपोर्ट में भी म्यामांर में हुई हिंसा का उल्लेख करते हुए इस विभाजन को भरने के लिए तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया गया था। स्टेट काउंसलर के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि, शुक्रवार तडके लगभग १५० उग्रवादियों ने २० से ज्यादा पुलिस चौकियों पर हमला किया। सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई की।
बयान में बताया गया, ‘कई पुलिस चौकियों और थानों पर हमला किया गया और देसी बारूदी सुरंगों का उपयोग भी किया गया।’ भीषण हिंसा के शिकार क्षेत्र के निकट स्थित बुथिदाउंग शहर के एक पुलिस अधिकारी ने इस अशांति की पुष्टि की। अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया, ‘स्थिति जटिल है… सेना आ रही है।’
रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी बताकर म्यांमार में नागरिकता देने से इनकार कर दिया गया है। रोहिंग्या समुदाय के विरोध में बीते वर्ष अक्टूबर में सेना ने काफी कार्रवाई की थी जिसके परिणामस्वरूप ८७ हजार रोहिंग्या बांग्लादेश चले गए थे। राखिन में लगभग १० लाख रोहिंग्या रहते हैं। वहीं ढाका में ४ लाख से ज्यादा रोहिंग्या लोग शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं।
संदर्भ : नवभारत टाइम्स