कहां हिन्दू धर्म में बताए गए शास्त्र का पालन करने विदेश से भारत आनेवाले पश्चिमी, तो कहां धार्मिक विधीयों को अंधश्रद्धा कहनेवाले भारत के तथाकथित बुद्धिजीवी एवं आधुनिकतावादी ! – सम्पादक, हिन्दूजागृति
वाराणसी – धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी अपने विशेष महत्व के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है । यहां गंगा के किनारे इटली की रहने वाली सारा ने अपने बच्चे की आत्मा की शांति के लिए तुलसी घाट पर अनुष्ठान कराया। यह अनुष्ठान करीब २ घण्टे तक लगातार चलता रहा।
तुलसी घाट पर सारा ने कराया अनुष्ठान
इस कर्मकांड को करने वाले पंडित बेचू महाराज ने हमें बताया कि, जब वो पिंडदान करा रहे थे तब उन्हें ये लगा कि ये कोई विदेशी नहीं अपितु भारतीय ही हैं। सारा ने कहा कि, लगता है जैसे काशी से मेरा जन्म-जन्मांतर का संबंध है, मैं अपने बेटे की आत्मा की शांति के लिए काशी आयी, ये मेरा सौभाग्य हैं।
अकाल मृत्यु के बाद काशी में श्राद्धकर्म
सारा बताती है कि, उसने किताबों व अपने दोस्तों से काशी के महत्व के बारे में सुना और पढ़ा है कि धरती पर केवल यही जगह है जहां अकाल मृत्यु होने के बाद श्राद्ध-कर्म करने से मुक्ति मिलती है। तुलसी घाट पर अनुष्ठान कराने वाली सारा ने बताया कि वो आर्किटेक्ट है और उसके बच्चे की मौत बीमारी से हो गयी थी।
‘शिव की नगरी में अनुष्ठान से बेटे को मोक्ष’
सारा ने बताया उसकी एनआरआई दोस्त आरती ने भाई के मृत्यु के बाद भारत आकर उनकी आत्मा शांति के लिए श्राद्धकर्म किया था। सारा ने कहा कि, अब मुझे पूरा विश्वास है कि मेरे बेटे को भी शिव की नगरी में अनुष्ठान के बाद मोक्ष अवश्य मिल जायेगा।
भारतीय संस्कृती के प्रति है विशेष लगाव
सारा इटली से काशी आकर अपने बेटे के लिए पूजा करने वाली सारा को जानने वाले संतोष ने बताया उनको भारती संस्कृती काफी पसंद है , मंत्रोच्चार करना उसे अच्छा लगता है। वो चाहती है कि, उसका अगला जन्म काशी में ही हो। सारा अभी कुछ दिनों तक भुवनेश्वर में ओडिशी नृत्य सीखेगी, फिर इटली वापस जायेगी। वहीं पंडित विद्या मिश्रा ने बताया वो काशी गंगा घाट पर मृत्यु के रहस्यों को बार-बार जानना चाह रही थी। हिन्दू धर्म के प्रति उसकी काफी आस्था है।
स्त्रोत : वन इण्डिया हिन्दी