चार धाम यात्रा के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड में अब जल्द ही गाे-तीर्थ केंद्र बनाया जाएगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक सघं (आरएसएस) के सुझाव पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हरिद्वार के कटारपुर गांव में इस तरह के केंद्र की स्थापना के लिए सहमति दे दी है। इसी सप्ताह आयोजित एक बैठक में आरएसएस के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल और दत्तात्रेय होसाबले ने अन्य आरएसएस नेताओं के साथ मुख्यमंत्री रावत और राज्य के कुछ मंत्रियों से मुलाकात की थी। आरएसएस के क्षेत्र सामाजिक समरसता संयोजक एल पी जायसवाल भी इस बैठक में उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि बैठक में गायों की सुरक्षा, गायों के चारे की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराना, गायों के लिए बनाए गए आश्रयस्थानों को दोबारा खोलना, कटारपुर में गाय स्मारक के निर्माण और गायों की सुरक्षा के लिए आय व्ययपत्र (बजट) में बढ़ोतरी पर चर्चा हुई।
जायसवाल ने कहा कि कटारपुर गांव वह गांव है जहां १९१८ में गाय की हत्याओं के खिलाफ विरोध करते हुए हिंदुओं ने अपना जीवन बिताया था। १९१८ में चार हिंदुओं को फांसी पर लटका दिया गया था। गांव में गाय की हत्याओं का विरोध करने पर अंग्रेजों ने १३० लोगों को काला पानी की सजा दी थी। जायसवाल ने कहा कि गांव को गो तीर्थ के रुप में विकसित किया जाएगा इसमें गायों का मैमोरियल बनाने के साथ गायों की सुरक्षा के लिए प्रदर्शनी लगाना भी शामिल है।
यह पुष्टि करते हुए कि मुख्यमंत्री रावत ने गाय संरक्षण केंद्र स्थापित करने पर सहमति जताई है, जायसवाल ने कहा हालांकि अभी इस बात पर चर्चा नहीं हुई है कि काम कब शुरू किया जाएगा। गाय संरक्षण पर एक और निर्णय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत २६ जुलाई को उत्तराखंड सरकार और योग गुरु बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ के बीच एक सहयोग के लिए राजी हुए थे। इसमें गो धाम स्थापित करने के लिए गायों की सुरक्षा के लिए विश्व स्तरीय सुविधाएं होंगी। साथ ही गाय के दूध और गोमूत्र से गायों के उत्पादों के निर्माण और बिक्री पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
स्त्रोत : जनसत्ता