गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने भगवान राम के तीर की तुलना मिसाइल से की है। उन्होंने कहा है कि रामायण में राम के जिस तीर का ज्रिक किया गया है वो इसरो की मिसाइल हैं। इसलिए बुनियादी सुविधाओं के निर्माण और सामाजिक इंजीनियरिंग को इसमें शामिल करने का श्रेय भगवान राम को जाता है। दरअसल बीते शनिवार (२६ अगस्त) को सूबे के इंस्टीट्यूट ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड मैनेजमेंट (आयआयटीआरएएम) के कॉन्वोकेशन में उन्होंने ये बातें कहीं।
एक दीक्षांत समारोह में उन्होंने आगे कहा, ‘राम का एक-एक तीर मिसाइल था। जो काम आज इसरो कर रहा है। भगवान राम ने लोगों को स्वतंत्र कराने के लिए इनका उपयोग किया था !’ भगवान राम की इंजीनियरिंग स्किल कौशल की सहारना करते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘यदि बुनियादी ढांचा भगवान राम और रामायण से जुड़ा है तो कल्पना किजिए राम किस तरह के इंजीनियर थे ? जिन्होंने भारत और श्रीलंका को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण किया था। यहां तक की गिलहरी ने पुल के निर्माण के लिए अपनी मदद की पेशकश की। किंतु आज लोग सोचते हैं राम सेतु समुद्र में बनाया गया था।
किंतु राम सेतु भगवान राम की ही कल्पना थी। हालांकि तब इंजीनियरों ने अस्थाई पुल बनाया था !’ गौरतलब है कि इस दौरान इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर तपन मिश्रा भी उपस्थित थे। उन्होंने आगे कहा कि जब युद्ध में लक्ष्मण बेहोश हो गए थे विशेषज्ञों ने बताया कि उत्तर भारत में एक जड़ी बूटी थी जो उन्हें ठीक कर सकती थी। इससे साबित होता है उस दौरान शोध थे। जब हनुमान भूल गए किस जड़ी बूटी को लाना है तो वो पूरा पहाड़ उठा लाए थे। तब ऐसी कौन सी तकनीक थी जो पूरे पर्वत को लाने में मदद कर सकती थी ? ये भी बुनियादी ढांचे के विकास की एक कहानी है !
स्त्रोत : जनसत्ता