मंदिर सरकारीकरण के कारण ही घोटालेबाजों को अभय मिल रहा है ! देवस्थान समिति में घोटाले न हों तथा घोटालेबाजों के विरोध में कठोर कार्रवाई हो; इसके लिए मंदिरों का कार्यभार भक्तों के नियंत्रण में दिया जाना चाहिए ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति में किए गए घोटालों में निहित दोषियों को कठोर दंड मिलना ही चाहिए, इस भूमिका पर हम दृढ हैं। इन घोटालों के प्रकरण में निहित दोषियों को किसी भी स्थिति में संरक्षण नहीं दिया जाएगा। देवस्थान समिति की ओर से विविध विकासकार्य तथा अधिक पारदर्शी कार्य किया जाएगा। आनेवाले १ वर्ष में पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति की आदर्श देवस्थान समिति के रूप में गणना होगी, इस पद्धति से हम काम करेंगे। पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति के नए अध्यक्ष श्री. महेश जाधव ने ऐसा प्रतिपादित किया। २३ अगस्त को यहांपर ली गई पत्रकार परिषद में वे ऐसा बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि, वर्ष १९६९-७० की अवधि में अधिकोष से प्राप्त ब्याजसहित समिति को कुल १३९ कोटि ८७ लाख ५० सहस्र रुपए प्राप्त हुए हैं। इस धनराशि से मंदिर के संदर्भ में सभी देयकों का व्यय, अकालग्रस्तों के लिए सहायता राशि, सामाजिक सहायता आदि कारणों के लिए धनराशि का व्यय होकर आज इस धनराशि का अधिकोषों में आवर्ति खातों में निवेश किया गया है।
इस अवसर पर देवस्थान समिति की कोषाध्यक्ष श्रीमती वैशाली क्षीरसागर एवं सचिव श्री. विजय पोवार उपस्थित थे।
श्री. महेश जाधव ने आगे कहा कि . . .
१. देवस्थान समिति की ओर से अन्नछत्र एवं भक्तआवासों का निर्माण किया जाएगा। मंदिर में किसी भी आस्थापन अथवा अधिकोष का विज्ञापन नहीं किया जाएगा।
२. मंदिर परिसर में किसी के भी द्वारा प्लास्टिक का उपयोग न हो; इसके लिए सभी दुकानदारों को पत्र भेजा जाएगा। मंदिरों में केवल कागद से बनी थैलियों का उपयोग किया जाएगा।
३. देवस्थान समिति की अनेक ठिकानों पर भूमि हैं तथा उनको वापस अधिकार में लेने का कार्य आरंभ किया गया है। हम देवस्थान की भूमि का अयोग्य पद्धति से उपयोग नहीं होने देंगे। मंदिर की दानपेटी में आभूषणों के रूप में नकली बेनटेक्स डाले जाते हैं। ये बेनटेक्स और वास्तविक आभूषणों की अलग-अलग प्रविष्टियां की जाएगी। श्री महालक्ष्मी मंदिर में देवी को समर्पित किए गए आभूषणों की सुवर्णकार से पडताल की जाएगी।
४. दुकानदार हल्दी एवं कुंकुम में रासायनिक पदार्थों का उपयोग न करें; इस प्रकार से निर्देश उन्हें दिए जाएंगे।
५. आज के दिन मंदिर में केवल ५० से ५५ सुरक्षाकर्मी हैं। मंदिर में इससे अधिक सुरक्षाकर्मियों का प्रबंध करने का हमारा प्रयास रहेगा। मंदिर के विकास के संदर्भ में आनेवाले २-३ मासों में बैठक ली जाएगी।
६. हमने देवस्थान समिति का एक प्रतिकचिन्ह (लोगो) बनाना सुनिश्चित किया गया है। हम इस प्रतिकचिन्ह को बनाने हेतु कलाकारों से प्रतियोगितात्मक प्रारूप लेंगे और उसमें से एक प्रतिकचिन्ह निश्चित किया जाएगा। उत्कृष्ट प्रतिकचिन्ह बनानेवाले कलाकार को २१ सहस्र रुपए की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।
७. देवस्थान भूमि की अप्रैल २०१७ से लेकर आज तक ३७ लाख रुपए की लगान की वसूली की गई है।
८. देवस्थान समिति की ओर से शिरडी एवं सिद्धिविनायक मंदिर की भांति आवास, अन्नछत्र, वाहनतल, स्वच्छतागृह जैसे विविध विकास के कार्य किए जाएंगे।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात