भाजपा सांसद एवं हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा किए गए कड़े विरोध का परिणाम !
मुंबई : ईद के उपलक्ष्य में पशुओं का यातायात करनेवाले वाहनों से संबंधित किसी भी प्रकार के कागजातों की जांच न की जाए, साथ ही पशुओं का यातायात करनेवाले मुसलमान धर्मियों के पशू यातायात में बाधा डालकर उनको कष्ट पहुंचानेवाले पुलिसकर्मियों के विरोध में विधि के अनुसार कार्रवाई की जाएगी ! यातायात विभाग के सहपुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने इस प्रकार का ‘तुघलकी फतवा’ निकाला था ! इस पर पशु कल्याण मंडल की अध्यक्षा तथा सांसद श्रीमती पूनम महाजनद्वारा जताई गई आपत्ति और हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा किए गए विरोध के कारण अंततः सहपुलिस आयुक्त अमितेश कुमार पर इस ‘फतवे’ में लिपा-पोती कर नया आदेश लागू करने की स्थिति आ गयी ! इस नए आदेश में उन्होंने पशुओं के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने पर प्रतिबंध करनेवाले विधि के क्रियान्वयन करने हेतु पुलिस प्रशासन से सहयोग करने का आवाहन किया है। (इसका अर्थ सहपुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने पहले जो आदेश निकाला, वह मुसलमानों का तुष्टिकरण करनेवाला तथा पशुओं के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार पर प्रतिबंध डालनेवाली विधि को ही ठेंगा दिखानेवाला था, यह इससे सिद्ध होता है ! किसी वरिष्ठ अधिकारीद्वारा इस प्रकार से आदेश निकालने का अर्थ पूरे प्रशासकीय यंत्रणा को अयोग्य कार्रवाई के लिए प्रवृत्त करने जैसा है। क्या, इस प्रकार से अयोग्य आदेश निकालनेवाले अमितेश कुमार के विरोध में प्रशासन कार्रवाई करेगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस संदर्भ में सांसद श्रीमती पूनम महाजन ने तीव्र आपत्ति जताकर पुलिस आयुक्त दत्ता पडसलगीकर के पास परिवाद किया था। हत्या के लिए ले जानेवाले पशुओं का यातायात करने के संदर्भ में विधिजन्य प्रावधान हैं और उनको २ दिनों के लिए निलंबित नहीं रखा जा सकता ! पुलिस आयुक्त को सहआयुक्तद्वारा निकाला गया परिपत्र अवैध होने से अवगत कराने पर इस संदर्भ में सुधारित आदेश निकाला गया !
नए आदेश में भी मुसलमानों का ही तुष्टिकरण !
सहपुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने २८ अगस्त को निकाले गए आदेश में केवल पशुओं के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार के लिए प्रतिबंध करनेवाले अधिनियम १९६० के उल्लंघन का उल्लेख किया गया है, उस प्रकार से गोवंश हत्या बंदी विधि का भी अस्तित्व है। ईद के उपलक्ष्य में बडी मात्रा में गोवंश का यातायात किया जाता है; परंतु इस संदर्भ में इस आदेश में सामान्य रूप से कोई उल्लेख नहीं है, साथ ही इसके पहले २६ अगस्त को निकाले गए आदेश में पुलिसकर्मियों के विरोध में कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई थी। २८ अगस्त को निकाले गए नए आदेश में एक ओर जहां ‘२६ अगस्त को निकाले गए आदेश का पालन करते समय’, ऐसा भी उल्लेख किया गया है, तो दूसरी ओर पशुओं के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करनेपर लगाए गए प्रतिबंध का उल्लंघन न हो; इसके लिए पुलिस प्रशासन से सहयोग किया जाए’, ऐसा भी उल्लेख किया गया है। अतः पुलिसकर्मियों को निश्चितरूप से क्या करना चाहिए, इसके प्रति भ्रम उत्पन्न करनेवाला यह आदेश है !
इस नए आदेश में भी गोवंश हत्या रोकने के लिए पुलिसकर्मियों को स्पष्टता के साथ आदेश न देकर उल्टे ‘पुलिस प्रशासन से सहयोग करें’, ऐसा गोरक्षकों ही समझाया गया है। अतः विधि का पालन हो, इसकी अपेक्षा इससे मुसलमानों के तुष्टिकरण में बाधा न पहुंचे; इसका ही ध्यान रखा गया है, यह स्पष्टता से दिखाई देता है !
‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना ही ‘हिन्दूहित’ के लिए एकमात्र उपाय !
इसके पहले प्रशासन की ओर से शासकीय कार्यालयों में श्रीसत्यनारायण का पूजन नहीं किया जाए, साथ ही राज्य में कहींपर भी राष्ट्रपुरुषों के पुतले खड़े करने से पहले वहां के अल्पसंख्यकों से अनुमति ली जाए, इस प्रकार के हिन्दूद्रोही आदेश निकाले गए था; परंतु हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा किए गए विरोध एवं जनक्षोभ के कारण शासन को इन आदेशों को वापस लेना पडा था ! इन आदेशों की भांति अब सहपुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने भी गोहत्या को प्रोत्साहन देनेवाला आदेश निकाला। इससे प्रशासन की ओर से जानबूझकर हिन्दू धर्म के विरोध में निर्णय किए जाते हैं, यह स्पष्ट होता है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात