काठमांडु : हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने १८ से २८ अगस्त की अवधि में नेपाल यात्रा की। इस अवधि में उन्होंने काठमांडु में ५वें दो दिवसीय आंतरराष्ट्रीय परिषद में अविष्कारिक प्रबंध प्रस्तुत किया, साथ ही चतुर्थ राष्ट्रीय पंडित सम्मेलन में सहभाग लिया। इसके साथ ही उन्होंने अनेक धर्मप्रेमी मान्यवरों के साथ भेंट की। उसीका वृत्तांत यहां प्रस्तुत कर रहे हैं . . .
‘नेपाल अकादमी ऑफ सायन्स अॅण्ड टेक्नॉलॉजी’ के उपकुलपति श्री. जीवराज पोखरेल से भेंट
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने काठमांडु के ‘नेपाल अकादमी ऑफ सायन्स अॅण्ड टेक्नॉलॉजी’ के उपकुलपति श्री. जीवराज पोखरेल से भेंट की। इस अवसर पर श्री. पोखरेल ने उनको नेपाल में स्थित डांग की अपनी शाखा में पहली बार ‘पुरातन विज्ञान’ इस विषय पर अध्ययन एवं अनुसंधान हेतु स्वतंत्र रूप से एक विभाग का प्रारंभ करने का मनोदय व्यक्त किया। इस पर सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने ‘इस विषय पर गोवा के सनातन आश्रम में अनुसंधान चल रहा है इसकी जानकारी दी !’ डॉ. पिंगळेजी ने उनको सनातन आश्रम का अवलोकन करने का भी निमंत्रण दिया।
नेपाल का शिक्षा संस्थान ‘डि.ए.व्ही. नेपाल’ के अध्यक्ष श्री. अनिल केडिया से भेंट
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने २२ अगस्त को नेपाल का शिक्षा संस्थान ‘डी.ए.वी. नेपाल’ के अध्यक्ष श्री. अनिल केडिया से भेंट की। इस अवसरपर नेपाल की नई पीढी को धर्म से परावृत्त करने हेतु रचे गए षडयंत्र के संदर्भ में बातचीत की गई। श्री. केडिया ने उनके शिक्षा संस्थान में शिक्षा ले रहे छात्रों के लिए डॉ. पिंगळेजी के मार्गदर्शन का आयोजन किया।
नेपाल का शिक्षा संस्थान ‘डि.ए.व्ही. नेपाल’ के छात्रों के लिए मार्गदर्शन
काठमांडू में स्थित शिक्षा संस्थान ‘डि.ए.व्ही. नेपाल’ में ‘सफल जीवन हेतु आध्यात्मिक ऊर्जा का महत्त्व’ इस विषय पर डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का मार्गदर्शन आयोजित किया गया था। इस अवसर पर छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा, ‘‘केवल भौतिक विकास से यदि सबकुछ संभव होता, तो पाश्चात्त्य एवं विकसित राष्ट्रों में सर्वाधिक बुरी आदतें, अपराध, विवाह विच्छेद आदि घटनाओं में वृद्धि नहीं होती, साथ ही वहां के लोगों को सर्वाधिक मानसिक समस्याएं नहीं होतीं !’’
क्षणचित्र
१. मागदर्शन के समय उपस्थित छात्र अविष्कारकर्ताओं में साधना के संदर्भ में जिज्ञासा उत्पन्न हुई। उन्होंने ‘साधना क्या होती है ?’, ‘कौनसा नामजप करना चाहिए ? आदि के संदर्भ में अपनी शंकाओं का निराकरण करवा लिया।
२. ‘डि.ए.व्ही.’ नेपाल के छात्रों ने उनके मन में निहित शंकाओं को उत्स्फूर्तता से पूछ लिया। उस समय सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने उन छात्रों की समझ में आए, इस भाषा में उनकी शंकाओं का निराकरण किया। सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने अपना पूरा मार्गदर्शन हिन्दी भाषा में किया; इसलिए हिन्दी विभाग प्रमुख श्री. पुरुषोत्तम पोखरेल ने संतोष व्यक्त किया।
३. श्री. पुरुषोत्तम पोखरेल ने कहा, ‘‘हमारे लडकों में इतनी जिज्ञासा है, यह हमें पहली बार ही ज्ञात हुआ। आपने उनके आध्यात्मिक चिंतन को एक अच्छी गति प्रदान की है !’’
४. उपप्राचार्य श्री. रामचंद्र खनाल ने कहा, ‘‘इसके पहले भी कुछ संप्रदायों के अधिकारी व्यक्तियों ने हमारे छात्रों का मार्गदर्शन किया है; परंतु वह एकतरफा होता था। इसके पहले छात्रों की शंकाओं का निराकरण करने का प्रयास किसी ने भी नहीं किया था !’’
पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी श्री. गणेश भट्ट से सदिच्छा भेंट
काठमांडु में सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने २० अगस्त को पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी श्री. गणेश भट्ट से सदिच्छा भेंट की। इस अवसर पर सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने उनको भारत – गोवा के सनातन आश्रम में चल रहे आध्यात्मिक अनुसंधान के संदर्भ में जानकारी दी। श्री. गणेश भट्ट, डॉ. पिंगळेजी को अपने स्वयं के पूजाघर में ले गये। वहां श्री. गणेश भट्ट ने धर्मप्रसार एवं हिन्दू राष्ट्र हेतु किए जा रहे कार्य हेतु सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी के गले में आशीर्वादरूपी रुद्राक्ष की माला पहनाई।
क्षणचित्र : इस भेंट के समय उनके साथ उपस्थित श्री. भरत वर्मा ने कहा कि मुख्य पुजारी श्री. भट्ट अपने पूजाघर में किसी को नहीं ले जाते; परंतु वे सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी को अपने पूजाघर ले गए !
त्रिभुवन विश्वविद्यालय की जैवशास्त्र (बायोटेक्नॉलॉजी) की प्राध्यापक डॉ. श्रीमती रजनी मल्ला से भेंट
सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने २५ अगस्त को त्रिभुवन विश्वविद्यालय में स्थित जैवशास्त्र (बायोटेक्नॉलॉजी) की प्राध्यापिका डॉ. श्रीमती रजनी मल्ला से भेंट की। इस अवसर पर प्रा. डॉ. गंगा पोखरेलसहित कुछ अनुसंधानकर्ता छात्र उपस्थित थे। सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी अपने चिकित्सा व्यवसाय में अगले चरण में होनेपर भी उन्होंने उसको त्याग कर धर्म एवं अध्यात्म के क्षेत्र में स्वयं को समर्पित किया; इसके प्रति डॉ. पोखरेल के मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई। इस अवसर पर डॉ. गंगा ने अपनी शंकाओं का निराकरण करवा लिया। उनकी शंकाओं का निराकरण करते हुए सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा, ‘‘WHO (विश्व स्वास्थ्य संघटन) ने ‘HEALTH’ की व्याख्या करते हुए ‘फिजीकल, मेंटल, सोशल एन्ड स्पिरिच्युअल वेलबिईंग ऑफ अ ह्यूमन बिईंग’ (मनुष्य का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य’) इस प्रकार से की है !
काठमांडु में सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का श्री गणेश की शोभायात्रा में सहभाग
श्री गणेशचतुर्थी के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय धर्मसभा, नेपाल की ओर से २६ अगस्त को श्री गणेशमूर्ति की शोभायात्रा का आयोजन किया गया था। इस शोभायात्रा में भारत के कामाख्या उपासक पंडित दिवाकर शर्मा, राष्ट्रीय धर्मसभा नेपाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. माधव भट्टराय, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी आदि मान्यवर सम्मिलित हुए।
अन्य गणमान्य मान्यवरों से भेंट
अपनी नेपाल यात्रा में सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने ‘लिडरशीप एशिया एवं टुडेज युथ एशिया’ के अध्यक्ष श्री. संतोष सहा, त्रिभुवन विश्वविद्यालय के ‘मास कम्युनिकेशन’ के प्राध्यापक श्री. निर्मल अधिकारी एवं काठमांडु के ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष श्री. रुबयनाथ कोईराला से भी भेंट की।
राष्ट्रीय धर्मसभा, नेपाल की वार्षिक सर्वसाधारण बैठक में सहभाग
राजनीतिक दल राष्ट्रीय धर्मसभा, नेपाल की वार्षिक बैठक संपन्न हुई। इस सभा हेतु दल के अध्यक्ष प्रा. डॉ. माधव भट्टराय ने सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी को विशेषरूप से आमंत्रित किया था। इस अवसर पर सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा, ‘‘आप धर्मसभा के अध्यक्ष हैं। इसमें आप ने हमारा धर्म क्या है ? तथा धर्मसंस्थापना क्या होती है ?, इसे यदि जान नहीं लिया, तो हम भी भीष्माचार्यजी की भांति कौरवों के पक्ष में लडेंगे और तब भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा से कोई अर्जुन हमें नष्ट कर देगा !’’ इस बैठक में राष्ट्रीय धर्मसभा, नेपाल के सभी पदाधिकारी एवं प्रमुख सदस्य उपस्थित थे।
राष्ट्रीय धर्मसभा, नेपाल की ओर से चतुर्थ राष्ट्रीय पंडित सम्मेलन धर्म की स्थापना करने के पूर्व स्वयं में धर्म की स्थापना करें ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी
काठमांडु : जब सत्त्वगुणी लोग अपने में व्याप्त सत्त्वगुण को छोडकर रज-तम की ओर झुकते हैं, तब धर्म को ग्लानि आ जाती है। अतः धर्म की स्थापना करने हेतु पहले स्वयं धर्म का अध्ययन करना, उसे समझा कर लेना, उसके अनुसार आचरण करना और उसके पश्चात स्वयं में धर्म की स्थापना करना आवश्यक है। जिन्होंने स्वयं में धर्म की स्थापना की है, ऐसे लोगों को संघटित होकर ईश्वर के आशीर्वाद से समाज में धर्म की स्थापना करनी चाहिए। सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने ऐसा प्रतिपादित किया। राष्ट्रीय धर्मसभा, नेपाल की ओर से आयोजित २ दिवसीय चतुर्थ पंडित सम्मेलन में वे ऐसा बोल रहे थे। इस अवसर पर कामाख्या उपासक डॉ. दिवाकर शर्मा एवं ज्योतिषाचार्य डॉ. राजेंद्र शर्मा उपस्थित थे। सम्मेलन का उद्धाटन काठमांडु के ज्योतिर्लिंग पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी श्री. गणेश भट्ट के हाथों दीपप्रज्वलन कर किया गया।
इस अवसर पर श्री. गणेश भट्ट ने कहा, ‘‘ऋग्वेद में बताया गया है कि जो बंधन एवं मुक्ति का मर्म जानता है, वही पंडित है। पंडित (ब्राह्मण)पर समाज एवं राष्ट्र को दिशा देने का दायित्व होता है। यदि वह पथभ्रष्ट हुआ, तो उसको उसके लिए दोष लगता है तथा उसके परिणाम भी भुगतने पडते हैं !
क्षणचित्र : इस सम्मेलन में सनातन के हिन्दी भाषिक ग्रंथों की प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसका उपस्थित लोगोंद्वारा उत्स्फूर्त प्रतिसाद प्राप्त हुआ !
काठमांडु (नेपाल) की ५वीं २ दिवसीय आंतरराष्ट्रीय परिषद में ‘आध्यात्मिक जीवशास्त्र का विज्ञान – वनस्पति जागरूकता’ इस विषय पर २ अविष्कारिक प्रबंधों का प्रस्तुतिकरण
श्री चैतन्य सारस्वत इन्स्टिट्यूट की ओर से १८ एवं १९ अगस्त की अवधि में ५वीं २ दिवसीय आंतराष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया गया था। इस परिषद में १९ अगस्त को महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीद्वारा लिखे गए ‘सायन्स ऑफ स्पिरिच्युअल बायोलॉजी – प्लान्ट सेन्टियन्स (Plant Sentience) (आध्यात्मिक जीवशास्त्र का विज्ञान – वनस्पति जागरूकता) इस विषय पर आधारित अविष्कारिक प्रबंध प्रस्तुत किया गया। इस प्रबंध को सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने प्रस्तुत किया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात