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धाराशिव के गणेशोत्सव मंडलों को मूर्तिविसर्जन न करने का अशास्त्रीय निर्णय अपनाने के लिए थोपा गया !

‘दिव्य मराठी’ इस दैनिक का तथाकथित अभियान, गणेशोत्सव मंडलों का किया दिशाभ्रम !

गणेशोत्सव मंडलों के कार्यकर्ताओं, यह बात ध्यान में रखें कि, आज विसर्जन न करें, ऐसा कहनेवाले भविष्य में यह भी कहेंगे कि, श्री गणेशमूर्ति का पूजन भी न करें !

धाराशिव : यहां जलप्रदूषण, अनावश्यक व्यय, देवता का अनादर होता है, ऐसे कारण बताकर इस वर्ष भी शहर के अनेक गणेशोत्सव मंडलों ने विसर्जन न करने का निर्णय अपनाया है। मंडलों का कहना है कि, ‘ऐसा करने से विषैले पीओपी (प्लास्टर ऑफ पॅरिस) के कारण होनेवाला पानी का प्रदूषण टल जाएगा !’ (श्री गणेशमूर्ति विसर्जन करने से पानी का प्रदूषण नहीं होता। साथ ही प्लास्टर ऑफ पॅरिस के कारण जलप्रदूषण न्यून होने के ब्यौरे भी हैं। शास्त्रानुसार श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन बहते पानी में ही करना, यह उसके पूजाविधी का अंतिम विधी है। विधीपूर्वक की गई पूजा तथा प्राणप्रतिष्ठा की गई गणेशमूर्ति का विसर्जन करने की अपेक्षा उसे वैसे ही रखने से उसका अनादर होने की संभावना अधिक रहती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

‘दिव्य मराठी’ इस दैनिक ने तथाकथित अभियान आयोजित कर गणेशोत्सव मंडलो का दिशाभ्रम कर उलटा उनका यह प्रबोधन किया है कि, गणेशमूर्ति का विसर्जन नही करना। साथ ही विसर्जन हेतु व्यय किए जानेवाले धन का उपयोग विविध समाजोपयोगी कार्यक्रमों का आयोजन कर उसके लिए उसका उपयोग करने का निर्णय अपनाया गया है ! (गणेशोत्सव का मूल उद्देश्य है, भक्तिभाव वृद्धिंगत करना ! अतः गणेशोत्सव मंडलो ने अपना हेतु साध्य करने के लिए अत्यल्प मात्रा में धन व्यय कर आदर्श शोभायात्रा आयोजित कर श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन भक्तिभाव से करना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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