यंगून : भारी हिंसा के बाद रोंहिग्या मुसलमानों के पलायन से जुडे सवालों के जवाब देने के लिए अब म्यांमार सरकार सक्रिय हुई है। बुधवार को उसने राखिन प्रांत में २५ अगस्त से मूलनिवासियों पर हुए हमलों की जानकारी पहली बार सार्वजनिक की। जारी बयान में बताया गया है कि, आतंकी संगठन अराकान रोहिंग्या मुक्ति सेना (एआरएसए) के कुल ९७ हमलों में ३६ लोग मारे गए। इनमें १३ सुरक्षा बलों के जवान हैं। हमलों से बचाने के लिए कुल २६,७४७ मूलवासियों को विस्थापित करके सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।
सुरक्षा बलों ने ३७१ आतंकी मारे
म्यांमार के सरकारी आंकडों के अनुसार २५ अगस्त से ५ सितंबर तक आतंकियों ने कुल ५९ गांवों के ६,८४२ घरों को जलाकर राख कर दिया और आठ पुलों को विस्फोट से उड़ा दिया। इसके बाद सुरक्षा बलों की कार्रवाई में ३७१ आतंकी मारे गए।
सरकार की सूचना समिति ने कहा है कि, हिंसा प्रभावित इलाकों से पीडितों को निकालने का काम जारी है। सभी पीडितों को खाना और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। समिति ने विदेशी सरकारों से गलत सूचनाओं पर भरोसा न करने की अपील की है। कहा है कि, वे म्यांमार में शांति और स्थिरता कायम करने में मदद करें।
म्यांमार की ताजा हिंसा के चलते सवा लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम सीमा पार करके बांग्लादेश पहुंच चुके हैं।
गलत सूचना पर भरोसा न करें : सू की
म्यांमार की नेता सू की ने राखिन प्रांत के बिगडे हालात के लिए रोंहिग्या आबादी से संबंधित आतंकी संगठन को जिम्मेदार ठहराया है। कहा है कि समस्या आतंकी हमलों के बाद उत्पन्न हुई। उन्होंने रोंहिग्या मुस्लिमों के पलायन पर कुछ नहीं कहा है। तुर्की के उप प्रधानमंत्री ने हटाए फोटोसू की ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से फोन पर कहा कि, रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर गलत सूचनाओं पर विश्वास नहीं किया जाए। इस दौरान उन्होंने तुर्की के उप प्रधानमंत्री के ट्वीट पर सार्वजनिक किए गए उन सनसनीखेज फोटो का भी उल्लेख किया जो वास्तव में म्यांमार के नहीं थे। बाद में गलती पता चलने पर उप प्रधानमंत्री ने ट्वीट से उन फोटो को हटाया।
संदर्भ : नर्इ दुनिया