बांग्लादेश से विस्थापित हिन्दुओं की मध्य प्रदेश में हुई दयनीय स्थिति एवं उसकेद्वारा मध्य प्रदेश में अराजकता का हो रहा अनुभव !

मध्य प्रदेश के खजराना में बांग्लादेश से विस्थापित हिन्दुओं के पुनर्वास हेतु शासन की ओर से ५ एकड गौचरण की भूमि दी गई है। यह भूमि बांग्लादेश से विस्थापित हिन्दुओं को ‘बंगाली कॉलनी’ के नाम से बस्ती निर्माण हेतु दी गई; परंतु इस ५ एकड भूमि में से ३ एकड भूमि पर पास के धर्मांधों ने अतिक्रमण किया  है और वहां पर धर्मांधोंद्वारा अनेक अवैध कृत्य किए जा रहे हैं। धर्मांधों के इन अवैध कृत्यों के विरोध में वहां के हिन्दू अधिवक्ता श्री. देवेंद्र पेंडसे की सहायता से न्यायालयीन लडाई लड रहे हैं। इस लडाई में हिन्दुओं को वहां का शासन एवं प्रशासन से प्राप्त कडवा अनुभव यहां प्रस्तुत कर रहे है !

अधिवक्ता श्री. पेंडसेद्वारा उपलब्ध किए गए कागजातों के आधार पर इस लेख का संकलन किया गया है . . .

बंगलादेशी हिन्दुओं की व्यथा

१. हिन्दुओं के पुनर्वास हेतु बस्ती के निर्माण में उत्पन्न बाधाएं

१ अ. प्रशासकिय अधिकारियों की उदासिनता के कारण खजराना में हिन्दुओं के पुनर्वास हेतु बस्ती के निर्माण का कार्य ठप्प हो जाना : वर्ष १९७६ में खजराना में बांग्लादेश से विस्थापित हिन्दुओं के पुनर्वास हेतु ५ एकड भूमि दी गई। इस भूमि पर बसने हेतु शासन के पास विस्थापित ८० बांग्लादेशी परिवारों का पंजीकरण भी किया गया। इस भूमि पर बस्ती के निर्माण संबंधी नियोजन में विस्थापितों के लिए घरों का निर्माण करना, समुदाय भवन, चिकित्सालय, मंदिर, वाटिका एवं विद्यालय के साथ ही धोवनजलन के निर्गमन का प्रबंध, पेयजल की आपूर्ति, पानी की टंकी का निर्माण करना आदि कार्यों का अंतर्भाव था। इस नियोजन के अनुसार शासन की ओर से धनराशि भी उपलब्ध हुई; परंतु प्रशासकिय अधिकारियों की उदासिनता के कारण यह निर्माणकार्य ठीक समय पर पूरा नहीं हो सका !

१ आ. धर्मांधों का अतिक्रमण एवं उनका उद्दंड व्यवहार :

१ आ १. निर्माण कार्य पूरा होने पर उसके आसपास संरक्षक दीवार का निर्माण न करने से हिन्दू विस्थापितों की भूमि पर धर्मांधों का अतिक्रमण ! : वहां का निर्माण कार्य पूरा होने के पश्‍चात उसके आसपास संरक्षक दीवार का निर्माण न किए जाने से पडोस की मुसलमान बस्ती के धर्मांधों ने इस ५ एकड भूमि में से ३ एकड भूमि पर अतिक्रमण किया। केवल इतना ही नहीं, अपितु उन्होंने इस भूमि पर अपना अधिकार सिद्ध करनेवाले पते के राशनकार्ड, चुनाव परिचयपत्र जैसे कागजात भी बनाए। उन्होंने इस भूमि को अपने नियंत्रण में लेकर वहांपर छोटी दुकानें और कच्चे-पक्के घर भी बनाए !

१ आ २. धर्मांधोंद्वारा अतिक्रमण की गई भूमि का उपयोग गोहत्या एवं मंदिरों के अनादर हेतु किया जाना तथा उनकी गुंडागर्दी को रोकने में पुलिस प्रशासन अकार्यक्षम सिद्ध होना : अवैध पद्धति से हडप ली गई इस भूमि में गोहत्या जैसे क्रूरतापूर्ण एवं अन्य अवैध कृत्य किए जाते हैं। हत्या की गई गायों का मांस और हड्डियों के टुकडे दुर्गादेवी के मंदिर में फेंके जाते हैं। ये धर्मांध मंदिर में बैठकर शराब पिते हैं और मंदिरों के निकट ही मूत्रविसर्जन करते हैं। उससे विवाद उत्पन्न होकर कई बार तनाव की स्थिति आ जाती है। बंगाली कॉलनी पुलिस स्थानक पिछली बाजू में ही हैं; परंतु ऐसा होते हुए भी धर्मांधों की गुंडागर्दी चल ही रही है। पुलिस प्रशासन इन गुंडों को रोकने में असमर्थ है !

१ आ ३. भूमि को अवैध रूप से हडप कर उस पर स्वयं का अधिकार सिद्ध करने का प्रयास करनेवाले उद्दंड धर्मांध ! : इन धर्मांधों ने हिन्दुओं की भूमि हडप कर खजराना के तथाकथित समाजसेवी महंमद इब्राहिम घोरी के माध्यम से उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका प्रविष्ट की; परंतु उच्च न्यायालय के इंदूर खंडपीठद्वारा यह याचिका अस्वीकार की गई !

१ इ. हिन्दू विस्थापितों के प्रश्‍नों की उपेक्षा करनेवाला भ्रष्ट प्रशासन ! : इस विषय में हमने स्थानीय उपजिलाधिकारी, तहसीलदारसहित खजराने पुलिस थाने के प्रभारी एवं वरिष्ठ अधिकारी जैसे अनेक प्रशासनिक अधिकारियों के पास परिवाद किए और निवेदन भी सौंपे। हमने कई बार खजराना के जिलाधिकारी के सामने इन धर्मांधों के विरोध में कार्रवाई करने की मांग की; परंतु इन भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने हमारे परिवादों की निष्पक्ष जांच नहीं की है अथवा की भी होगी, तो हमें उसकी जानकारी नहीं दी !

१ ई. हिन्दुओं की कॉलनी में आने-जाने के मार्गों में दीवार खडी कर बंद कर दिया जाना और वहां के विधायक एवं सांसदोंद्वारा वहां के नागरिकों की समस्याओं का समाधान करने में टालमटोल की जाना : इस भूमि पर केवल धर्मांधों की ही दृष्टि है, ऐसा नहीं है, अपितु वहां के रहिवासी हिन्दू भी अवैध पद्धति से वहां की भूमि हडप रहे हैं। बंगाली कॉलनी में स्थित घरों के बीच आने-जाने हेतु जो गलियां हैं, उनपर कुछ हिन्दुओं ने भी झूठे कागजात बनवा कर अवैध रूप से अपना नियंत्रण स्थापित किया है तथा उन्होंने दीवारें खडी कर इन मार्गों को ही बंद कर दिया है। इससे अनेक लोगों का वहां से आने-जाने का मार्ग ही बंद हुआ है। उनको पडोसियों के घर से आना-जाना पडता है। उनको घर के अस्वस्थ लोगों को, विकलांग एवं वयस्क लोगों को पडोसियों के घरों में से उठाकर ले जाना पडता है। आने-जाने का मार्ग बंद हो जाने से सफाई कर्मचारी इन गलियों में पहुंच नहीं सकते। अतः यहां गंदगी फैल गई है। इस संदर्भ में वहां के विधायक एवं सांसदों के पास परिवाद किए जाने पर वे इन समस्याओं का समाधान निकालने में टालमटोल कर रहे हैं !

२. शासन एवं प्रशासन की ओर से संज्ञान न लिए जाने से हिन्दुओंद्वारा लोकायुक्त के पास परिवाद प्रविष्ट किया जाना

शासन एवं प्रशासन की ओर से बांग्लादेशी हिन्दू विस्थापितों की समस्याओं की निरंतर उपेक्षा की जाने से अब हिन्दुओं ने अधिवक्ता श्री. पेंडसे की सहायता से १७ अप्रैल २०१७ को लोकायुक्त के पास परिवाद प्रविष्ट किया है और उनसे निम्न मांगे की हैं ….

अ. हिन्दुओं के नाम पर रही पंजीकृत भूमियों पर मुसलमानोंद्वारा किया गया अतिक्रमण और उस भूमि का विक्रय करने हेतु किए जानेवाले प्रयासों के विरोध में कार्रवाई की जाए !

आ. हिन्दुओं के मठ एवं मंदिरों का अनादर करनेवालों के विरोध में कार्रवाई हो !

इ. सभी हिन्दू विस्थापितों के साथ न्याय हो तथा उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए !

– श्री. आनंद जाखोटिया, समन्वयक, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश, हिन्दू जनजागृति समिति

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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