बीजिंग : चीन ने ‘चरमपंथ को रोकने’ और आंतरिक सुरक्षा के खतरों से निपटने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता पर लगी पाबंदियों को सख्त कर दिया है। चीन की कैबिनेट स्टेट काउंसिल की ओर से गुरुवार (७ सितंबर) को संशोधित नियम जारी किए गए हैं। यह कदम उस समय उठाया गया है जब चीन में मुस्लिम और ईसाई जनसंख्या पर पहले से ही कई तरह के नियंत्रण हैं। धार्मिक संगठनों के विदेश से अनुदान लेने पर भी रोक लगाई गई है। चीन का कहना है कि, स्थानीय चरमपंथ और इस्लामी कट्टरपंथ से खतरा है, परंतु आलोचकों का आरोप है कि, बीजिंग ने उत्पीड़न, गिरफ्तारियों और अधिकारों के हनन का दायरा बढा दिया है !
स्टेट काउंसिल की वेबसाइट पर जारी नियमों की एक प्रति में कहा गया है, ‘‘कोई भी संगठन या व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने, सामाजिक तानेबाने को कमजोर करने जैसी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए धर्म का उपयोग नहीं कर सकता !’’ धार्मिक समूहों को सरकार के साथ पंजीकृत होना पडेगा तथा गैरपंजीकृत संगठनों के विद्यालय स्थापित करने पर रोक होगी। गैर-पंजीकृत समूहों को पहले से ही धार्मिक स्थल बनाने पर रोक है। बिना अनुमति के धार्मिक आयोजन करने पर तीन लाख युआन का जुर्माना लगेगा तथा ऐसे आयोजन के लिए जगह मुहैया करानेवालों पर भी दो लाख युआन का जुर्माना लगेगा।
स्त्रोत : झी न्यूज